वो बाहर भी बदलता है वो अंदर भी बदलता है
वो जब खुद को बदलता है तो नंबर भी बदलता है
चले जिसके किनारे साथ दोनो हाथ हाथों में
बदलने को जो आए तो समंदर भी बदलता है
उसे मै खोजने की क्यों करूं कोशिश बताओ तुम
सितारे चांद बादल और अंबर भी बदलता है
पकड़ पाना नही मुमकिन निगाहों से हुए घायल
वो झपके जब पलक अपनी तो खंजर भी बदलता है
किसी दिन तुम खड़े होगे वहीं पर हैं जहां पर हम
सुना है वक्त बदले तो ये मंजर भी बदलता है
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