ये दुख अजीब है के तू मेरे साथ नही
कैसा नसीब है के तू मेरे साथ नही
मुमकिन नही था पर वो इंसान आज मेरे
बेहद करीब है के तू मेरे साथ नही
ये मर्ज ला-इलाज है क्या इलाज करूं
कहता तबीब है के तू मेरे साथ नही
कल तक हमारे प्यार के जो खिलाफ रहा
वो अब हबीब है के तू मेरे साथ नही
लिक्खा है जिसने प्यार को प्यार के बिना
किस्मत अदीब है के तू मेरे साथ नही
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