Tuesday 14 February 2023

बसर वो रोज करते हैं

हमारे ख्वाब में आकर बसर वो रोज करते हैं
रहें ये ज़ख्म भी ताजा कसर वो रोज करते हैं

तअल्लुक कुछ नही होता है मांझी का मुसाफिर से
मगर फिर भी न जाने क्यों सफर वो रोज करते हैं

बड़ा आसान था उनका ये कहना अलविदा तुमको
मगर फिर खुशनसीबी की खबर वो रोज करते हैं

यहां डूबे रहे शब में अंधेरों से हुई यारी
वहां उजली हुई दिलकश सहर वो रोज करते हैं

गवाही दिल नही देता उधर नजरें इनायत हों
किसी के नाम का सजदा जिधर वो रोज करते हैं

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