कभी तेरी वो फुलवारी मुझे वापस बुलाती है
बमुश्किल से तुझे जाना कभी मै भूल पाता हूं
मगर जब भूल जाता हूं तो तेरी याद आती है
कई मौसम यहां बदले मगर ये बात ना सुलझी
ये बारिश घर मे आकर के मुझे ही क्यों भिगाती है
वो आँखें मर मिटा जिनपर कोई ख्वाबों का शहजादा
उन्हीं आंखों के दरिया में ये कश्ती डूब जाती है
मुझे बिल्कुल नही मतलब तू कैसी है कहां है तू
हवा फिर भी ये जाने क्यों खबर तेरी बताती है
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