गौर से देखो हम बन- संवर के आए हैं
अब तो दरिया से ये प्यास बुझेगी नही
हम समंदर के अंदर उतर के आए हैं
उन लोगों से पूछो उसे पाने का मतलब
जो बस उसके लिए आह भर के आए हैं
जिंदगी एक गश्त है और हम हैं मुसाफिर
बस यही सोचकर हम गश्त कर के आए हैं
इतना आसान नही है इश्क का ये सफर
हम आग के दरिया से गुजर के आए हैं
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