इश्क मुहब्बत धोखा नफरत जो भी है वो तुमसे है
हसरत वसरत आदत वादत जो भी है वो तुमसे है
मुझको जो भी सबक मिला वो बोलो कैसे भूलूं मै
दहशत वहशत शिकवा शिद्दत जो भी है वो तुमसे है
आंख समंदर तेरी थी सो उसके अंदर डूब गया
डूबे इस दिल की अब हरकत जो भी है वो तुमसे है
कहते थे सब यार मुझे तुम कहां पड़े हो चक्कर में
पर मै कहता मेरी कुर्बत जो भी है वो तुमसे है
अब तुम वापस आकर भी कुछ ठीक नही कर सकती हो
सच तो ये है मेरी हालत जो भी है वो तुमसे है
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