वो हम पे महरबान न थे न होंगे
पर हम भी बेजुबान न थे न होंगे
उनसे रहम की गुजारिश भी क्या
जो बेहतर इंसान न थे न होंगे
बिन बुलाए आयेंगे हमारे करीब
वो घर के महमान न थे न होंगे
आसमां को जमीं पर खींच लायेंगे
ऐसे तो अरमान न थे न होंगे
क्या दिल में है क्या जुबान पर
हम इतने अनजान न थे न होंगे
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