Thursday 14 August 2014

एक गरीब लड़की

उसकी सूरत ने मुझे कुछ हैरान कर दिया ।
जो 'तरुण' मनमौजी था उसे परेशान कर दिया ।
सियासत करते रहे लोग उस तबके को ऊपर लाने की ...
जिसको बासी रोटी देकर एक रहीस ने अहसान कर दिया ।
वो पूछती रही बताओ ये हिन्दुस्तान कहाँ है ।
मेरे माथे पर तिरंगे का निशान कहाँ है ।
ना इल्म है न वजूद ना वजह न सबूत ...
मैंने जीना नही सीखा... मेरा इंसान कहाँ है ।
मै निशब्द खामोश कुछ व्याकुल कुछ अबोध ...
खोजता रहा इन सवालों को पर फिर भी अफ़सोस ...
बिना कोई जवाब दिए इन कदमो ने प्रस्थान कर दिया ।
उसकी सूरत ने मुझे कुछ हैरान कर दिया ।
जो 'तरुण' मनमौजी था उसे परेशान कर दिया ।।

--- कविराज तरुण