Wednesday 26 March 2014

हमें याद करेंगे

जो हमें चाहते हैं वो हमेशा याद करेंगे ।
कुछ सक्श ऐसे भी मिल जायेंगे ...
जो नाम हमारा जी भरकर बर्बाद करेंगे ।
खैर हमें क्या ...
खैर हमें क्या , क्या लेना इनसे ।
शम-ए-मोहब्बत के हम परवाने ...
जल जायेंगे मगर रोशिनी बेहिसाब करेंगे ।
कुछ लोग मेरे वजूद का सुबूत मांगेंगे ,
कुछ लोग सहेजने को मेरा ताबूत मांगेंगे ,
कुछ कह देंगे-गया जो उसे जाना ही था ,
कफ़न तो उसका एकदिन यहाँ आना ही था
उसके आँसू मगर फिरभी ये सवालात करेंगे
बिन तुम्हारे भला कैसे जहां आबाद करेंगे
जो हमें चाहते हैं वो हमेशा याद करेंगे ।
दिल से निकली ,पंहुची दिल तक
दिल की बातें ...
फरक नही है , लफ्जों की
क्या थी सौगातें ...
नाम उसके हर ज़र्रा हर अल्फाज़ करेंगे
बंद पलकों में छुपा हर ख्वाब करेंगे ।
जो हमें चाहते हैं वो हमेशा याद करेंगे ।

-कविराज तरुण

Friday 14 March 2014

अहसासों के मोती

अहसासो के मोती चुनकर,
रिश्तों की एक डोर बनाई ।
तेरे माथे का श्रृंगार किया तब,
प्रेमसुधा ने अमृत पाई ।।
स्वतः अखंडित प्यार हमारा ...
स्वतः उज्जवलित संसार हमारा ...
सूरज का प्रतिमान बना जब ,
तेरे चक्षु-किरण से दृष्टि लगाई ।।
कदम कदम का साथ हमारा ...
पल पल का विश्वास हमारा ...
दिशाविहीन पथहीन था अबतक ,
तुम जो साथ चली तो गति पाई ।।
अन्तः की अनसुलझी बातें ...
वृहत समाज की सब सौगातें ...
शांत हुई स्पष्ट हुई सब ,
तुमसे मिलकर जब सुधि पाई ।।
व्यथा के कितने गीत लिखे हैं ...
आंसू पर संगीत लिखे हैं ...
पर प्यार की कुमकुम झलक गई जब ,
तुम आकर इस जीवन मे मुस्काई ।।

--- कविराज तरुण