Wednesday 12 July 2023

ॐ शिव शंकर शम्भू

ॐ शिव शंकर शम्भू 

शिव तुम ही रखवाले, तुम ही प्राणप्रिये
प्रभु तुम ही प्राणप्रिये
तुमको जो भी ध्यावे, उसको तार दिये
ॐ शिव शंकर शम्भू

श्रावण मास तुम्हारे, हिय को अति प्यारा
प्रभु हिय को अति प्यारा
भक्त करे जल अर्पण, बोले जयकारा
ॐ शिव शंकर शम्भू

नाद करे जल मारुत, मेघ करे गर्जन
प्रभु मेघ करे गर्जन
विधिवत सृष्टि तुम्हारा, करती है अर्चन
ॐ शिव शंकर शम्भू

नेहभाव से रहते, मूषक बाघ शिखी
प्रभु मूषक बाघ शिखी
धेनु रहे सेवा में, नाग बने कंठी
ॐ शिव शंकर शम्भू

कांवड़ लेकर जाये, भक्त मगन तेरा
प्रभु भक्त मगन तेरा
झूमे नाचे गाये, जहाँ लगे डेरा
ॐ शिव शंकर शम्भू

भोलेनाथ तुम्हारा, जो भी नाम जपे
प्रभु जो भी नाम जपे
संकट उसका कटता, रूठे भाग्य जगे
ॐ शिव शंकर शम्भू

कविराज तरुण

Saturday 8 July 2023

शायरी संग्रह 1

हम रो रहे हैं लेकिन रोते नही हैं हम
यें दर्द-ए-आशिकी का अंजाम है हमारा
मुझको सिखा रहे हो जीने का फलसफा तुम
एक उम्र से यही तो बस काम है हमारा
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आज फिर उस बेवफा को याद किया जायेगा
वक़्त बहुत है थोड़ा और बर्बाद किया जायेगा
उसने मेरी आँखों को दी है इतनी दौलत
इन मोतियों से गुलिस्तां आबाद किया जायेगा
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कुछ तुम आये और कुछ तुम्हारी याद आ गई
बहुत जोर की बरसात उसके बाद आ गई
लिखा था अपने गम हो दो चार पंक्तियों में
उस बेवफा की उस पर भी दाद आ गई 
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मेरा हर मर्ज दवा की तलाश करता है
दवा के बाद दुआ की तलाश करता है
ये मेरा इश्क़ कहाँ से इलाज खोजेगा
तुम्हारे दर पे खुदा की तलाश करता है
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जीवन क्या है थोड़े नियम थोड़ी लापरवाही है
रस्ता है ये अरमानों का जिसपर आवा जाही है
कहाँ खड़े हो हाथ पसारे उम्मीदों की चौखट पर
किस्मत तो बस उसकी है जो चलता फिरता राही है
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वो मंज़िल हो कहीं भी पर उसे आना है बाजू में
मेरे ज़ज़्बात आयेंगे कहाँ तक मेरे काबू में
चलो ये दिल इधर रक्खा उधर रक्खा है किस्मत को
वजन देखे किधर होगा मुहब्बत की तराजू में
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वो एक शाम थी तमाम शामों की तरह
अहदे उल्फत के वाजिब गुलामों की तरह
उसका आना क्या किसी दहशत से कम था
वो जब आई तो आई इलज़ामों की तरह
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हर ख़ुशी हर पाई का वो हिसाब रखता है
अपनी आँखों में बच्चों के ख्वाब रखता है
खुद की परवाह करना तो उसे आता नही
वो बाप है! अपने दुखों पर नकाब रखता है
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इस किनारे से उस किनारे का सफर
मोहब्बत क्या है इक इशारे का सफर
टूटने के बाद भला कौन याद रखता है
कैसा गुजरेगा टूटते तारे का सफर
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किसी को प्यार करने से मुनासिब कुछ नही होता
ये दिल का मामला है यार वाजिब कुछ नही होता
लिखा है जो हथेली पर वही होगा वही होगा
किसी के चाह लेने के मुताबिक कुछ नही होता
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एक तुम हो जो आवाज भी नही देते हो
एक वो है जो मुझपे जान देता है
तुम्हे तो मेरे आंसूँ भी नही दिखते हैं
वो तो मेरा दर्द भी पहचान लेता है
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तुम बोलो और मान लूं मै भी ये इतना आसान कहाँ
मै भी थोड़ा पढ़ा लिखा हूँ तुम भी हो विद्वान कहाँ
गायब होते देखे हैं लश्कर भी मैंने मौके पे
इतना तो मालुम है मुझको बिकता है इंसान कहाँ
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छोटी सी जिंदगी में क्या क्या न देखा मैंने
टूटी हुई नींद में टूटा हुआ सपना मैंने
प्यार धोखा दोस्त जलन और न जाने क्या क्या
इनसे ही सीख लिया जीने का तरीका मैंने
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बात अपनों की हो अगर फर्क तो पड़ता है
यूँही गुम जाये रहगुजर फर्क तो पड़ता है
यूँ तो उम्र गुज़ारने को ये जगह भी ठीक है
पर जो अपना हो ये शहर फर्क तो पड़ता है
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वो जब नाराज होता है तो बातें तक नही करता
मेरे कमरे में आकर के कभी बक बक नही करता
कि मेरा काम ऐसा है हज़ारों लोग मिलते हैं 
मगर इतनी गलीमत है कभी वो शक नही करता
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सबकी अपनी बातें हैं और सबका तौर तरीका है
तूफ़ानों से लड़ना हमने चट्टानों से सीखा है
बुझदिल समझा है क्या हमको जो ऐसे ही डर जायें
अपने अंदर खून अभी भी राणा का छत्रपती का है
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Sunday 2 July 2023

शायरी - जीवन क्या है लापरवाही

जीवन क्या है थोड़े नियम थोड़ी लापरवाही है
रस्ता है ये अरमानों का जिसपर आवा जाही है
कहाँ खड़े हो हाथ पसेरे उम्मीदों की चौखट पर
किस्मत तो बस उसकी है जो चलता फिरता राही है

शायरी - तलाश करता है

मेरा हर मर्ज दवा की तलाश करता है
दवा के बाद दुआ की तलाश करता है
ये मेरा इश्क़ कहाँ से इलाज खोजेगा
तुम्हारे दर पे खुदा की तलाश करता है

मन बातों का एक ठिकाना

*मन बातों का एक ठिकाना*

मन बातों का एक ठिकाना
जिसमे सुख दुख आना जाना
कभी नये गीतों की सोचे
कभी सुनाये गीत पुराना

मौजी है मन बड़ा सयाना 
मन बातों का एक ठिकाना

मीत वही जो मन को भाये
प्रीत वही जो मन ले जाये
गीत वही जो मन ये गाये
रीत वही जो मन से आये

सबकुछ मन का ताना बाना
मन बातों का एक ठिकाना

कभी कभी व्याकुलता घेरे
कभी कभी इस जग के फेरे
कभी मिले मन तेरे मेरे
कभी मिलें बस धुप्प अँधेरे

फिर भी मन को चलते जाना
मन बातों का एक ठिकाना

रहती चिंता भारी मन को
तरसे वो फिर अपनेपन को
देखे ऐसे वो जीवन को
जैसे चातक देखे घन को

खोया अपना उसको पाना
मन बातों का एक ठिकाना

मन का बैरी मन ही जाने
अपनी दुनिया लगे बनाने
छलनी से बातों को छाने
लगा रहे फिर स्वाँग रचाने

मन ही अपना मन बेगाना 
मन बातों का एक ठिकाना

तरुण कुमार सिंह
प्रबंधक, यूको बैंक 
क.सं. - 57228