Thursday 29 September 2016

कबर खोद ली तुमने खुद

*कबर खोद ली तुमने खुद*

कबर खोद ली तुमने खुद
जाने और अनजाने में
कौन बचायेगा तुमको अब
जाओ यूएन के थाने में
दुत्कार दिए जाओगे और
ये भूल नहीं पाओगे तुम
गाली और गोली मिलेगी दोनो
सुबह शाम अब खाने में
*कबर खोद ली तुमने खुद*
*जाने और अनजाने में*

तेरे एके 47 का जवाब
अब छप्पन इंची सीना है
मूक नहीं अब नेता अपना
वो शमशीर नगीना है
मारेंगे तुमको घर में घुसकर
बचोगे नहीं किसी ठिकाने में
छोड़ी नहीं कसर ही तुमने
हम जाबांजो को उसकाने में
*कबर खोद ली तुमने खुद*
*जाने और अनजाने में*

✍🏻कविराज तरुण
तरुण कुमार सिंह
यूको बैंक , सोमलवाड़ा
9451348935

Friday 23 September 2016

आतंक का कुनबा

*आतंक का कुनबा*

है लाज अगर इस्लाम की
गर पढ़ा  है तुमने कुरान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

डरते यहाँ आका सेना से
कहीं तख्तापलट न हो जाये ।
पनाह न दे जो आतंकी को
सर धड़ से अलग न हो जाये ।

इंसानियत के खून की ट्रेनिंग
भले क्यों देता है ये इंसान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

कलम छोड़ कर हाथों से ये
बम बनाना सीख गये ।
घर की जिम्मेदारी को भूल फरेबी
हथियार उठाना सीख गये ।

लानत है दोजख की तुमको
बच्चों मे न देखा भगवान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

तुम इतराते हो जिसके दम पर
उनका भी हाल वही होगा ।
जिद पर आ जायेंगे तो
फिर कोई सवाल नही होगा ।

कम पड़ जायेगी मिट्टी भी
तरसेगा तू खाली शमशान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

बलूच - सिंध को दूर किया है
नित अपने दूषित संवादों से ।
अजमल सईद ओसामा को
पाला है नापाक इरादों से ।

हैवानियत की रूह तेरी ये
समझेगी भला क्या इंसान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

तुम आतंकी को नेता कहते हो
हाँ ये सच है हमें गुरेज नही ।
और तुम जैसा नेता आतंकी है
ये कहने में हमें परहेज नही ।

*शरीफ* शराफत का इल्म हो तो
नष्ट करो इन आतंकी फरमान को ।
या आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

✍🏻कविराज तरुण