Wednesday 8 March 2023

बदल ही गया

*ग़ज़ल - बदल ही गया*
*कविराज तरुण*

_याद आती है कई रोज बेवफा तेरी_
_कई रातें मै गुमसुम गुज़ार देता हूँ_
_ये नकाब-ए-हुस्न तेरा और किसको लूटेगा_
_आज महफिल मे इसे मै उतार देता हूँ_
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एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया
एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुम जो बदले तो मै भी बदल ही गया

एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

बोतलों मे भरी तेरी मक्कारियाँ
और हम पैग अपना बनाते रहे
बात उल्फत की महफिल मे चलने लगी
जाम पे जाम खुद को पिलाते रहे (2)

पीते पीते कदम लड़खड़ाये मगर
पीते पीते कदम लड़खड़ाये मगर
था सँभलना मुझे मै सँभल ही गया

तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुम जो बदले तो मै भी बदल ही गया

एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

रूह तुमसे जुड़ी तो जुड़ी रह गयी
दूसरा कोई दिल मे समाया नही
तुमने बस्ती बसाई पता है हमें
हमने खुद को कहीं भी बसाया नही (2)

लोग आये मगर वो चले भी गए
लोग आये मगर वो चले भी गए
वक़्त रहमोंसितम का निकल ही गया

तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुम जो बदले तो मै भी बदल ही गया

एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

Tuesday 7 March 2023

रंग का त्योहार होली

रंग, जो चमन के मुस्कुराते फूल में होते हैं 
रंग, जो हवा के हर मूल में होते हैं 
रंग, जो जड़ो में चेतन में धूल में होते हैं 
रंग, जो चुभते किसी शूल में होते हैं 
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो कहे वतन के खून की कहानी 
रंग, जो हमें बताये बात कोई पुरानी 
रंग, जो अंतर कहे कि खून या पानी 
रंग, जो सादगी की पहचान हैं निशानी 
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो उजड़ते चमन को महका दे 
रंग, जो खिलें और खिल के सबको बहका दे 
रंग, जो जल के भीतर भी ज्वाल दहका दे 
रंग, जो अंध में भी ज्योति दिखला दे 
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो लाये सुन्दरता में नया निखार 
रंग, जो दूर कर दे मुख से दाग या विकार 
रंग, जो याद दिलाये विजय का सार 
रंग, जो मधुमास में ले आए नवबहार 

// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो हमारी पहचान हैं निशानी 
रंग, जो मिलकर बनाए रंग नूरानी
रंग, जिसकी चाह में है दुनिया दीवानी
रंग, जो कहता नही है बात जुबानी
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //