Sunday 29 January 2023

मुझे वापस बुलाती है

कभी तेरी गली मुझको बड़ा आवाज देती है
कभी तेरी वो फुलवारी मुझे वापस बुलाती है

बमुश्किल से तुझे जाना कभी मै भूल पाता हूं
मगर जब भूल जाता हूं तो तेरी याद आती है

कई मौसम यहां बदले मगर ये बात ना सुलझी
ये बारिश घर मे आकर के मुझे ही क्यों भिगाती है

वो आँखें मर मिटा जिनपर कोई ख्वाबों का शहजादा
उन्हीं आंखों के दरिया में ये कश्ती डूब जाती है

मुझे बिल्कुल नही मतलब तू कैसी है कहां है तू
हवा फिर भी ये जाने क्यों खबर तेरी बताती है

Saturday 28 January 2023

आग लगा दी

पुरानी बातें हैं वो इश्क मोहब्बत वाली
लड़का था पागल लड़की भोली भाली

एक दूसरे में उनकी जान बसा करती थी
जैसे फूलों की बगिया बगिया का माली

उनके बारे में लोग उड़ाते थे अफवाह
हर एक की नजर थी उन पर सवाली

दुनिया को उनसे दिक्कत थी इतनी
के हर कोई देता था उनको ही गाली

जमाना था दुश्मन घरवाले रुसवा
फिर क्या था दोनों ने आग लगा ली

आओ फिर से

इकबार तुम पागल बनाने आओ फिर से
दिल जान नींदों को चुराने आओ फिर से

जो तयशुदा है वो हमेशा साथ होगा
पर ये लकीरें आजमाने आओ फिर से

हूं अब नही वैसा जिसे तुम जानती हो
ये मोम जैसा दिल जलाने आओ फिर से

क्यों तोड़कर कसमें वफा की तुम गए थे
ये बात मुझको तुम बताने आओ फिर से

मै हूं अभी जिंदा तुम्हे मालूम होगा
जो हो सके मुझको मिटाने आओ फिर से

Sunday 22 January 2023

जो भी है वो तुमसे है

इश्क मुहब्बत धोखा नफरत जो भी है वो तुमसे है
हसरत वसरत आदत वादत जो भी है वो तुमसे है

मुझको जो भी सबक मिला वो बोलो कैसे भूलूं मै
दहशत वहशत शिकवा शिद्दत जो भी है वो तुमसे है

आंख समंदर तेरी थी सो उसके अंदर डूब गया
डूबे इस दिल की अब हरकत जो भी है वो तुमसे है

कहते थे सब यार मुझे तुम कहां पड़े हो चक्कर में
पर मै कहता मेरी कुर्बत जो भी है वो तुमसे है

अब तुम वापस आकर भी कुछ ठीक नही कर सकती हो
सच तो ये है मेरी हालत जो भी है वो तुमसे है

Saturday 21 January 2023

अच्छा कैसे लग सकता है

मुझको तेरा चुप हो जाना अच्छा कैसे लग सकता है
तुमको खोकर सबकुछ पाना अच्छा कैसे लग सकता है

जिन गलियों से खुशबू तेरी डोली सजकर निकल गई हो
उन गलियों में आना जाना अच्छा कैसे लग सकता है

अंत जहां पर खुशियों का हो इश्क जहां पर शर्मिंदा हो
दर्द भरा फिर वो अफसाना अच्छा कैसे लग सकता है

जिसने तेरी दहलीजों पे दिल की जन्नत देखी अबतक
उस पागल को पागलखाना अच्छा कैसे लग सकता है

तुम ही मुझको समझाती थी इश्क वफा की मीठी बातें
अब उल्टा तुमको समझाना अच्छा कैसे लग सकता है

Thursday 19 January 2023

हो जायेगा

धीरे धीरे हाथ मिलाना हो जायेगा
उसके घर फिर आना जाना हो जायेगा

रफ्ता रफ्ता बात चलेगी इश्क वफा की
दिल ही दिल में एक ठिकाना हो जायेगा

कुछ दिन तुमको भायेंगे फिर चांद सितारे
आगे चलकर चांद पुराना हो जायेगा

फिर छोटी छोटी बातों पर होगी अनबन
चुपके चुपके अश्क बहाना हो जायेगा

तब दूरी बढ़ जायेगी यूं मीलों लंबी
इश्क मुहब्बत प्यार फसाना हो जायेगा

Wednesday 18 January 2023

ऐसा भी क्या

तुमने जाने उसमे देखा ऐसा भी क्या
खुद भी उलझे दिल भी उलझा ऐसा भी क्या

रोते रोते हँस देते हो पागल लड़के
खोजा तुमने खूब तरीका ऐसा भी क्या

कांटों की हसरत है खुशबू से भर जाएं
फूलों की फितरत है धोखा ऐसा भी क्या

पानी के अंदर ही डूबा आज समंदर
बारिश की बूंदों में भीगा ऐसा भी क्या

लाख वफा की कसमें तुमने खुद तोड़ी हैं
फिर भी हमसे इतना शिकवा ऐसा भी क्या

Monday 16 January 2023

शायरी

धीरे धीरे सबकुछ सहना सीख गया हूं
तन्हा तन्हा घर पे रहना सीख गया हूं
तुमने तो कुछ कहने लायक कब छोड़ा था
अपना गम मै खुद से कहना सीख गया हूं

सही नही है मगर गलत भी लगा नही वो
कहीं नही है मगर अभी तक जुदा नही वो
अभी तो खुशबू भरी हुई है बदन मे मेरे
गया है लेकिन लगे यही के गया नही वो

इन रस्तों को मंजिल कहके कितने दिन इतराओगे
मै अपने रस्ते जाऊंगा तुम अपने रस्ते जाओगे
आते जाते मिलना तो फिर नज़रे तिरछी कर लेना
उलझे अबकी नजरो मे तो फिर वापस ना आओगे

Saturday 14 January 2023

बन संवर के आए हैं

उसके शहर में कुछ दिन ठहर के आए हैं
गौर से देखो हम बन- संवर के आए हैं

अब तो दरिया से ये प्यास बुझेगी नही
हम समंदर के अंदर उतर के आए हैं

उन लोगों से पूछो उसे पाने का मतलब
जो बस उसके लिए आह भर के आए हैं

जिंदगी एक गश्त है और हम हैं मुसाफिर
बस यही सोचकर हम गश्त कर के आए हैं

इतना आसान नही है इश्क का ये सफर
हम आग के दरिया से गुजर के आए हैं

Wednesday 11 January 2023

क्या क्या बताया जाए

क्या क्या बताया जाए क्या क्या छुपाया जाए
राज़ इतने हैं किस किस को दबाया जाए

मेरे चाहने वाले मुझको हिदायत यही देते हैं
तू गुजरे जिधर से उधर से न जाया जाए

मुकम्मल हो जायेगी यूंही तेरे प्यार की कहानी
क्यों टाइटैनिक की तरहा तुझको  डुबाया जाए

दोस्ती करने का तरीका तो बेहद आसान है
नज़रे मिल जाएं तो हाथों को मिलाया जाए

महफिल में भले रौशन हों चांद तारे और जुगनू
रौशनी तो तब है जब तुझको बुलाया जाए

Monday 9 January 2023

गजल क्या क्या हुआ है

मत पूछो मेरे साथ क्या क्या हुआ है
दिल किसी बात से बहला हुआ है

चांद की आंखों में उदासी किसलिए
फिर किसी के प्यार का सौदा हुआ है

जिंदगी एक किताब है मालूम है हमें
क्या हुआ जो हर पन्ना बिखरा हुआ है

लिख देंगे तुम्हे हम शायरी में कभी
अभी दिल कहीं पे उलझा हुआ है

ये प्यार इश्क उल्फत मोहब्बत
यही बोलकर तो हमला हुआ है

Sunday 8 January 2023

गजल - न थे न होंगे

वो हम पे महरबान न थे न होंगे
पर हम भी बेजुबान न थे न होंगे

उनसे रहम की गुजारिश भी क्या
जो बेहतर इंसान न थे न होंगे

बिन बुलाए आयेंगे हमारे करीब
वो घर के महमान न थे न होंगे

आसमां को जमीं पर खींच लायेंगे
ऐसे तो अरमान न थे न होंगे

क्या दिल में है क्या जुबान पर
हम इतने अनजान न थे न होंगे

Wednesday 4 January 2023

गजल - जाने दो

वो जा रहा है तो उसे इस बार जाने दो
अब है किसी वो दूसरे का प्यार जाने दो

है फायदा कुछ भी नही क्यों गमजदा हो तुम
इन आंसुओं को यूं नही बेकार जाने दो

अब जो लिखा है किस्मतों में मान लो उसको
फिर क्या हुआ वो कर रहा इनकार जाने दो

रिश्ते बचाकर कुछ न होगा ये समझ लो तुम
जब दो दिलों में खिंच गई दीवार जाने दो

मै ही नही तुम ही नही सब है उसी रब का
फिर सोचना क्या जा रहा जो यार जाने दो

Sunday 1 January 2023

मन की बात

अपने मन की बात बताकर जोड़ा हमसे नाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

राष्ट्र कहां तक पहुंचा है हमलोग कहां तक जायेंगे
किन बातों के द्वारा हम सब देश का मान बढ़ाएंगे
सोच हमें क्या रखनी होगी कर्तव्य हमारे क्या क्या हैं
काम कौन से ऐसे हैं जिससे देश को फायदा है

इन बातों का ताना बाना कोई नही बतलाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

वो क्षेत्र कौनसे ऐसे हैं जिनमें ज्यादा अवसर हैं
आवास योजना के अंतर्गत बने अभी कितने घर हैं
स्वच्छ देश का सपना अबतक पहुँचा है किस पटरी पर
विज्ञान के द्वारा सपनों की बुनी गई कितनी चादर

ढेरों ऐसी बातों से ये मन ज्ञानी हो जाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

आगे क्या क्या संकट हैं किन लोगों से लड़ना होगा
क्या क्या हमने नही किया क्या क्या हमको करना होगा
किन बातों को ध्यान में रखना हमको अभी जरूरी है
विश्वगुरु की राह में हमको चलनी कितनी दूरी है

आप के द्वारा ही हमको संकल्प पता चल पाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

और यार क्या

चल रहे तो है ये सफर , और यार क्या
पांव से तू नाप डगर , और यार क्या

जिंदगी क्या चाहती है और क्या नही
किसको पता किसको खबर , और यार क्या

दिल के तार जोड़कर दूर तक चलो
रह न जाए कोई कसर , और यार क्या

शाम को तू बैठ कभी इतमिनान से
ढल रही है तेरी उमर , और यार क्या

वक्त और साल तो ये बीत जायेगा
छोड़ देगा अपना असर , और यार क्या

जिंदगी की जंग सदा जीत लेंगे हम
है दोस्तों का साथ अगर , और यार क्या