Tuesday 21 February 2023

भूल जाने के लिए है

ये मोहब्बत और वादा भूल जाने के लिए है
दिल का क्या है इक दफा तो आजमाने के लिए है

रूह तो शामिल नही है जिस्म की ही बात है अब
शादियों का नाम तो रस्में निभाने के लिए है

मै ठहर कर देखता हूं और आगे चल पड़ूं मै
उसकी गलियां रासतो का शक मिटाने के लिए है

उम्र आधी गफलतों में और आधी उम्र मेरी
इश्क कर देगा निकम्मा ये बताने के लिए है

देख लेगा वो हकीकत हो सके तो साफ कह दो
इस जहां को छोड़कर दुनिया दिखाने के लिए है

Thursday 16 February 2023

तू मेरे साथ नही

ये दुख अजीब है के तू मेरे साथ नही
कैसा नसीब है के तू मेरे साथ नही

मुमकिन नही था पर वो इंसान आज मेरे
बेहद करीब है के तू मेरे साथ नही

ये मर्ज ला-इलाज है क्या इलाज करूं
कहता तबीब है के तू मेरे साथ नही

कल तक हमारे प्यार के जो खिलाफ रहा
वो अब हबीब है के तू मेरे साथ नही

लिक्खा है जिसने प्यार को प्यार के बिना
किस्मत अदीब है के तू मेरे साथ नही

Tuesday 14 February 2023

बसर वो रोज करते हैं

हमारे ख्वाब में आकर बसर वो रोज करते हैं
रहें ये ज़ख्म भी ताजा कसर वो रोज करते हैं

तअल्लुक कुछ नही होता है मांझी का मुसाफिर से
मगर फिर भी न जाने क्यों सफर वो रोज करते हैं

बड़ा आसान था उनका ये कहना अलविदा तुमको
मगर फिर खुशनसीबी की खबर वो रोज करते हैं

यहां डूबे रहे शब में अंधेरों से हुई यारी
वहां उजली हुई दिलकश सहर वो रोज करते हैं

गवाही दिल नही देता उधर नजरें इनायत हों
किसी के नाम का सजदा जिधर वो रोज करते हैं

डर लगता है

बस इसी बात से मुझे डर लगता है
एक शख़्स ही सारा शहर लगता है

मोहब्बत एक दो दिन की बात नही
उम्र भर का इसमें सफर लगता है

उड़ने का काम परिंदो पे छोड़ दो
यूं तो हर काम में हुनर लगता है

दिल में जगह रखना तो काफी नही
घर बसाने के लिए भी घर लगता है

यही कश्मकश है यही दर्द-ए-पैहम
अपना नही है वो अपना मगर लगता है

Tuesday 7 February 2023

नजर भर देख लूं

देखकर नजरें उतारूं या नजर भर देख लूं
सोचता हूं आंख में तेरी उतरकर देख लूं

आसमां के चांद को है देखने का क्या सबब
इससे बेहतर चांद अपना मै जमीं पर देख लूं

एक मुद्दत बाद तुम आए हो मेरे सामने
अब जरूरी है तेरी खातिर कहीं घर देख लूं

दिल बहलता ही नही अब बारिशों में भींगकर
हुस्न तेरी मौज के भीतर समंदर देख लूं

इश्क तेरी राह में कितने मुसाफिर खो गए
इकदफा इस रहगुजर से मै गुजर कर देख लूं

Sunday 5 February 2023

नंबर भी बदलता है

वो बाहर भी बदलता है वो अंदर भी बदलता है
वो जब खुद को बदलता है तो नंबर भी बदलता है

चले जिसके किनारे साथ दोनो हाथ हाथों में
बदलने को जो आए तो समंदर भी बदलता है

उसे मै खोजने की क्यों करूं कोशिश बताओ तुम
सितारे चांद बादल और अंबर भी बदलता है

पकड़ पाना नही मुमकिन निगाहों से हुए घायल
वो झपके जब पलक अपनी तो खंजर भी बदलता है

किसी दिन तुम खड़े होगे वहीं पर हैं जहां पर हम
सुना है वक्त बदले तो ये मंजर भी बदलता है