Monday 18 February 2013

हम मिलकर सारी बात करेंगे


 अन्तः की बेड़ी में जकड़े ज़ज्बात , बयाँ क्या हालात करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 जो घाव ह्रदय के अन्दर हैं , न तुम्हे दिखाई देंगे |
 ये बोलेंगे तुमसे सबकुछ , पर न तुम्हे सुनाई देंगे |
 यथा मौन की प्रथा में रहकर ...
 हम इन् आँखों से संवाद करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 यूं तो बाहर से मै खुश हूँ , रंगरेज दिखाई देता हूँ |
 पर अन्दर से व्याकुल मै , मन ही मन सब सहता हूँ |
 जब करी कोशिशे बतलाने की ...
 रुक गया ना ये आघात करेंगे  |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 कुछ सपने जो थे अपने , अब दूर गगन के वासी हैं |
 कुछ तुम बदलो कुछ हम बदले , सुखमय जीवन के अभिलाषी हैं |
 पर अहंकार के रक्षक बनकर ...
 हम यूंही सब बर्बाद करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 मै कहता हूँ तू ही दोषी है , तुम कहती हो मेरी गलती है |
 आरोप लगाने की ये प्रवृति , तथाकहित चलती रहती है |
 सब भूल के फिर से चलना हो तो ...
 हम प्रेम सरित अभ्यास करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||



   --- कविराज तरुण 


Thursday 14 February 2013

चाल चालीसा - पार्ट 4 ( मैरिड फेज)


दोस्तों ! बी-टेक के दौरान लिखी हास्य - व्यंग रचना प्रस्तुत है जिसका उद्येश किसी व्यक्ति विशेष को कष्ट पहुचना कदापि नहीं है | बी - टेक के चार सालों में लड़कियों के व्यवहार में परिवर्तन को दर्शाने के लिए कुल ४ कवितायें मैंने लिखी हैं जिन्हें बारी बारी से ४ बार में पोस्ट करूँगा |

तो प्रस्तुत है शादी के उपरांत परिस्थिति को दर्शाती रचना : चाल चालीसा - पार्ट 4 ( मैरिड फेज) 




" सच कहता हूँ प्राणप्रिये ! मै तुझसे जीत न पाऊंगा |
तू अपवाद है मै विवाद हूँ , किस विधि बात बताऊंगा ||

जो जो तूने बोला है , वो बिना शर्त स्वीकार मुझे |
मेरी दुविधा की हर विधा पे, तेरा ही अधिकार प्रिये ||

सावन की बेला तेरी है , बारिश की बूंदे तेरी हैं |
ये अम्बर भी तेरा है , ये धरती भी तेरी है ||

मै प्रबल संकोच विचारक हूँ , तेरे निर्देशों का मै पालक हूँ |
तू परम बुद्धि त्रिलोचन धारी है , क्यूंकि तू एक नारी है ||

मै मूक रहूँगा कुछ न कहूँगा , समर्पित हैं सारे हथियार प्रिये |
जीवन के हर एक पन्ने पर , स्वीकृत है अपनी हार प्रिये || "



--- कविराज तरुण 

Wednesday 13 February 2013

चाल चालीसा - पार्ट 3 ( कॉर्पोरेट फेज )



चाल चालीसा - पार्ट 3 ( कॉर्पोरेट फेज )


दोस्तों ! बी-टेक के दौरान लिखी हास्य - व्यंग रचना प्रस्तुत है जिसका उद्येश किसी व्यक्ति विशेष को कष्ट पहुचना कदापि नहीं है | बी - टेक के चार सालों में लड़कियों के व्यवहार में परिवर्तन को दर्शाने के लिए कुल ४ कवितायें मैंने लिखी हैं जिन्हें बारी बारी से ४ बार में पोस्ट करूँगा |

तो प्रस्तुत है नौकरी पाने के उपरांत परिस्थिति को दर्शाती रचना : चाल चालीसा - पार्ट 3 ( कॉर्पोरेट फेज) 


Saturday 9 February 2013

चाल चालीसा - पार्ट 2 ( अनुभवी फेज )


चाल चालीसा - पार्ट 2 ( अनुभवी फेज )


दोस्तों ! बी-टेक के दौरान लिखी हास्य - व्यंग रचना प्रस्तुत है जिसका उद्येश किसी व्यक्ति विशेष को कष्ट पहुचना कदापि नहीं है | बी - टेक के चार सालों में लड़कियों के व्यवहार में परिवर्तन को दर्शाने के लिए कुल ४ कवितायें मैंने लिखी हैं जिन्हें बारी बारी से ४ बार में पोस्ट करूँगा |

तो प्रस्तुत है दिव्तीय तथा तृतीय वर्ष को दर्शाती रचना : चाल चालीसा - पार्ट 2 ( अनुभवी फेज )


Thursday 7 February 2013

चाल चालीसा - पार्ट १ ( फ्रेशर फेज )



दोस्तों ! बी-टेक के दौरान लिखी हास्य - व्यंग रचना प्रस्तुत है जिसका उद्येश किसी व्यक्ति विशेष को कष्ट पहुचना कदापि नहीं है | बी - टेक के चार सालों में लड़कियों के व्यवहार में परिवर्तन को दर्शाने के लिए कुल ४ कवितायें मैंने लिखी हैं जिन्हें बारी बारी से ४ बार में पोस्ट करूँगा |

तो प्रस्तुत है प्रथम वर्ष को दर्शाती रचना : चाल चालीसा - पार्ट १ ( फ्रेशर फेज )



Friday 1 February 2013

confused youth ( a work on MS-Paint)



" दिशा भ्रमित पथ विहीन व्याकुलित 
अचरज भरी निगाहों से 
किस रस्ते जाऊं कुछ खबर नहीं 
क्या हाल हुए हैं युवाओं के "

कविराज तरुण