Friday 29 July 2016

अभिनन्दन देश का

🙏🏻🙏🏻🙏🏻सुप्रभात🙏🏻🙏🏻🙏🏻

चाहे रोली चन्दन कर डालो
चाहे क्रीडा क्रंदन कर डालो
अतुलित भूमि पुराणों की है ये
तुम इसका अभिनंदन कर डालो
🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹
मत भूलो लोगों ने प्राण तजे
तब आजादी हमने पाई है
हर एक मत को साथ लिया साथी
तब भारत की रीति बनायी है
🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹
यूँ बाँटो न इसे जात धरम में
चाहे कितनी अनबन कर डालो
अतुलित भूमि पुराणों की है ये
तुम इसका अभिनंदन कर डालो

🙏🏻🙏🏻🙏🏻सुप्रभात🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻कविराज तरुण🙏🏻🙏🏻

छत्रपति शिवाजी

रचना - छत्रपति शिवाजी महाराज
🛡⚔🛡⚔🛡⚔🛡⚔🛡

लिख डाले कई गीत ग़ज़ल पर ,
इतना सम्मान नहीं आया ।
वीर शिवाजी छत्रपति सा अबतक,
कोई इंसान नहीं आया ।।

मुगलों को विस्मित करते थे वो
रणकौशल चालाकी से ।
छापामार के निर्माता थे वो
लड़ते थे बेबाकी से ।।

धर्म का संबल साथ में लेकर
हिंदुत्व का सच्चा प्रमाण दिया ।
मुगलों को कई बार हराया
मराठ वंश का निर्माण किया ।।

कल्याण से लेकर पोंडा तक
दुर्ग चालीस का विस्तार हुआ ।
हिन्दू स्वराज की नींव पड़ी
छत्रपति का अधिकार हुआ ।।

युद्ध के ज्ञानी कुशल प्रशासक सा
दूजा यजमान नही आया ।
वीर शिवाजी छत्रपति सा अबतक
कोई इंसान नही आया ।।

🛡⚔🛡⚔🛡⚔🛡⚔🛡

✍🏻कविराज तरुण
9451348935
https://m.facebook.com/KavirajTarun/

Wednesday 27 July 2016

मेरा प्यार

मेरा प्यार
🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹
रेशमी धागे से महीन था
मेरा प्यार
मेरे लिए आसमाँ-जमीन था
मेरा प्यार
उसकी चेहरे की यासमीन था
मेरा प्यार
दुनिया में सबसे बेहतरीन था
मेरा प्यार

पर नज़र लग गई ... आया तूफ़ान
टूटा दिल में छुपा ... सारा अरमान
बेरहम सा दिखा ... मेरा भगवान
आग उगलने लगा ... काला आसमान

रेशम का धागा जला
रुक गया सिलसिला
छोड़ के वो चले
सितम जमकर मिला

फिरभी वो मेरे लिए एक यकीन था
मेरा प्यार
मेरी कविताओं में शब्दों में विलीन था
मेरा प्यार
सावन की बूँदों से भी हसीन था
मेरा प्यार
दुनिया में सबसे बेहतरीन था
मेरा प्यार
🌹❤🌹❤🌹❤🌹❤🌹

✍🏻कविराज तरुण

Tuesday 26 July 2016

महाराणा प्रताप

रचना 01
महाराणा प्रताप
⚔🛡⚔🛡⚔🛡⚔🛡⚔

एक ही ऐसा वीर है जिसने
घास की रोटी खाई है ।
एक ही ऐसा वीर है जिसने
मुगलों को धूल चटाई है ।

मेवाड़ की धरती ने मिट्टी में
कितने शेरों को है पाला ।
जिनका आभूषण बनता है
खड्ग चमकता और भाला ।

महावीर महाराणा प्रताप
रुधिर नही ..था अग्निचाप ।
थर थर काँप उठे दुश्मन
जब पड़ता था दृष्टिपात ।

इनकी गाथा का वर्णन करती
धन्य हर एक चौपाई है ।
एक ही ऐसा वीर है जिसने
घास की रोटी खाई है ।

🙏🏻जय महाराणा🙏🏻

⚔🛡⚔🛡⚔🛡⚔🛡⚔

✍🏻कविराज तरुण

लिखना छोड़ दूँ

लिखना छोड़ दूँ

कहो जो तुम तो मै लिखना छोड़ दूँ
या यूँ सरेआम बिकना छोड़ दूँ
पहले जब कुछ चुभता था तो कलम उठती थी
अब जब कलम उठती है तो कुछ चुभता है
तेरे ख्वाबो में बेवजह यूँ मै दिखना छोड़ दूँ
कहो जो तुम तो मै लिखना छोड़ दूँ
असर होता नही जब भी सुनाता गीत मै प्यारा
न कश्ती ही मिली न मिल पाया ही किनारा
तुम क्या समझ पाओगे मेरी चाहत का ईशारा
कल भी आवारा था आज भी हूँ मै आवारा
तेरी गलियों से कहो तो गुजरना छोड़ दूँ
कहो जो तुम तो मै लिखना छोड़ दूँ

✍🏻कविराज तरुण
https://m.facebook.com/KavirajTarun/

हिंदी

रचना 01

भाल मस्तक पर सजे ज्यों बिंदी
माँ भारती के लिए स्थान है वह हिंदी

रोली चन्दन का जांच ज्यों टीका
बस वही अभिप्राय है हिंदी का

अब ये अस्मत ये ही इज्जत मान दो
संभव जितना हो सके हिंदी का ज्ञान दो

भाषा है ये वेद की पुराण की
भाषा है ये नवभारत निर्माण की

हिंदी जननी है समस्त संस्कार की
द्योतक है यह सभ्यता व्यवहार की

उर में बसा के सन्मुख विस्तार दो
अपने हर कार्य में हिंदी उदगार दो

✍🏻 कविराज तरुण

Friday 22 July 2016

सुप्रभात 230716

🙏🏻😊🌹सुप्रभात🌹😊🙏🏻

भोर भई खग कुल विस्मित है
सोया अबतक क्यों है इंसान
क्यों न जाने मर्म प्रकृति का
क्यों बनता है धर्म से अन्जान

सब ग्रन्थ कहें उठो सुबह ही
हो मात-पिता-गुरु-धरा प्रणाम
सब है अल्लाह-ईश्वर के बंदे
हर जीव जंतु का करो सम्मान
मीठी वाणी मुख पर रखकर
पूरे दिल से करो सब काम
दुःख में आस लगाओ प्रभु की
पर सुख में भी मन में लो हरिनाम

हर्षित मन में दया के भाव लिए
हर कार्य का रखो हिय से ध्यान
भोर भई खग कुल विस्मित है
सोया अबतक क्यों है इंसान

🙏🏻😊🌹सुप्रभात🌹😊🙏🏻

कविराज तरुण
9451348935
https://m.facebook.com/KavirajTarun/

Saturday 16 July 2016

दायित्व

रचना 01
दायित्व
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

दायित्व का निर्वाह जरुरी है
जरुरी है कर्म का बोध ।
मन कुण्ठित हो जाता है अक्सर
जब आता अहम् व लोभ ।
चाहे जीवन ब्रह्मचर्य हो गृहस्थ हो
या हो सन्यास ।
चाहे राह कठिन हो सख्त हो
या हो बिंदास ।
अनुशासन के बिन संभव कुछ नहीं
बस इतना कर पाया शोध ।
दायित्व का निर्वाह जरुरी है
जरुरी है कर्म का बोध ।

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

✍🏻क. तरुण

Thursday 14 July 2016

आतंकवाद

त्वरित रचना 01
विषय आतंकवाद
💣🇮🇳💣🇮🇳💣🇮🇳💣🇮🇳💣
आतंकी के मौन समर्थक अब आवाज उठाकर आये ।
देशप्रेम तज इस माटी की फिरसे लाज गिराकर आये ।

जो मरा बता वो किसी सूरत में मानव जैसा था ।
आतंकी था हत्यारा केवल वो दानव जैसा था ।

उसके मरने पर भी तुम आँखों में गाज बहाकर आये ।
आतंकी के मौन समर्थक अब आवाज उठाकर आये ।

गम तुम्हे नही उन शहीदों का जो नित  कुर्बानी देते हैं ।
हम खिले फूल जैसे इसलिए जो खून का पानी देते हैं ।

ऐसे ही गद्दारों के कारण हम सिर से ताज लुटाकर आये ।
आतंकी के मौन समर्थक अब आवाज उठाकर आये ।

तुमने जंग करी है चारो बारी हुए चौखाने चित्त ।
भूल हुई तो कोशिश की और तुमको माना मित्र ।

घर में आग लगाने का बेशक तुम राज दबाकर आये ।
आतंकी के मौन समर्थक अब आवाज उठाकर आये ।

पर नर्क पहुंचना है तुम सबको यूँ हथियार उठाने वालो ।
माँ भारत के बेटो से अब करो पुकार बचाने वालो ।

ऐसे आतंकी तेवर को धूल जाबाज़ चटाकर आये ।
आतंकी के मौन समर्थक अब आवाज उठाकर आये ।
💣🇮🇳💣🇮🇳💣🇮🇳💣🇮🇳💣

✍🏻कविराज तरुण
9451348935
https://m.facebook.com/KavirajTarun/

Monday 11 July 2016

दोहा - रिश्ता

दोहा -

रिश्ते सरल बनाइये , हिय में तनिक न लोभ ।
मन का दर्पण साफ़ तो , मिट जायेंगे दोष ।
🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻
बिना प्रेम के भाव से , संभव तरुण विक्षोभ ।
एक दूजे को समझिये , होगा मन का बोध ।
🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻
रिश्तों की उपमा नही , रिश्तों का नहि मोल ।
माला सहज बनाइये , इक इक दाना तोल ।।

🙏🏻🌹क. तरुण🌹🙏🏻