Wednesday 25 October 2023

खुश आमदीद है

221 222 2 22 1212

ये आंखें इक अरसे से जिनकी मुरीद है
वो आ गए महफिल में खुश आमदीद है

हम सरफिरों को चाँद-सितारे जहाँ मिले
उस रोज है दीवाली उस रोज ईद है

उसको गवाही देनी है जालसाज की
जो जालसाजी करके खुद मुस्तफीद है

इज्जत कमाने निकले हम देखभाल के
किसको पता था ये भी अब जर-खरीद है

इस रूह से मत पूछो के बिक के क्या मिला
वो झूठ कैसे बोले जो चश्मदीद है

Monday 23 October 2023

ग़ज़ल - इकदिन

तुम्हें याद मेरी भी आएगी इकदिन
जमीं झूमकर मुस्कुराएगी इकदिन

हाँ गफलत रही है यही जिंदगी भर
ये है जिंदगी बीत जाएगी इकदिन

जियादा जरूरी है जो चीज तुमको
वही चीज तुमको सताएगी इकदिन

मुहब्बत के इन बेगुनाहों से कह दो
मुहब्बत ही दिल ये दुखाएगी इकदिन

बमुश्किल सँभाला है इन आंसुओं को
ये है जिंदगी तो हँसाएगी इकदिन

Friday 6 October 2023

आज फिर

आ गया आँख में दर्द-ए-गम आज फिर
हर अकेले का रहबर अलम आज फिर

था जो अपने मुताबिक हमेशा से ही
वक़्त वो ही हुआ बेरहम आज फिर

देर तक राह पर आग जलती रही
और उसपर कदम दर कदम आज फिर

कौन कितना सही आज किसको कहे
हो रहा हर किसी को वहम आज फिर

दे रहा है ज़खम पर ज़खम इश्क़ ये 
सह रहा हूँ सितम पर सितम आज फिर

Thursday 5 October 2023

मिल लिया करे

ये जरूरी नही मेरे हक़ में कोई फैसला करे
पर मिलने की जिद करूँ तो मिल लिया करे

तमाम शिकवे शिकायतें अपनी जगह महफूज़ हैं
पर कुछ बातों को पल भर के लिए अनसुना करे

जो काम मुश्किल है वही मेरे हिस्से आता है 
इतनी हिम्मत कहाँ मुझमे कि तुमको मना करे

जो मेरे साथ खुश है जिसे मुझपर यकीन भी है
वो मेरे साथ चले वर्ना वो मुझे अलविदा करे

मै अबतक न समझा इबादत में दखल का मकसद
जो अपना है ही नही उसका कोई क्या गिला करे

ये जरूरी नही मेरे हक़ में कोई फैसला करे
पर मिलने की जिद करूँ तो मिल लिया करे

Sunday 1 October 2023

मौज हो

फूलों की फ़िकर क्या करें कांटों की मौज हो 
नीदों की जगह आँख में ख्वाबों की मौज हो 
जब चार दिन का ये सफर ही पास है तेरे
मंजिल की खबर हो न हो राहों की मौज हो