गलवान भिड़ंत में शहीद हुए जवानों को विनम्र श्रद्धांजलि
(देश मेरे)
देश तेरा ये कर्ज भला मै कैसे आज चुकाऊँगा
मिट्टी से तेरी बना हुआ मै मिट्टी मे मिल जाऊँगा
और नही कुछ ख़्वाहिश दिल मे बस तेरा ही नाम रहे
सुबह तेरी मिट्टी मे हो मिट्टी मे ही शाम रहे
और नही कुछ माँगूँ रब से बस तेरी रखवाली हो
आँच ज़रा भी आये तो फिर अपना वार न खाली हो
जान का अपने दाँव लगाकर अपना फर्ज निभाऊँगा
मिट्टी से तेरी बना हुआ मै मिट्टी मे मिल जाऊँगा
लहू का कतरा-कतरा तेरा साँसों पर अधिकार तेरा
रगो-रगो मे शामिल मेरे देश सदा ही प्यार तेरा
शान रहे ऐ देश तेरी फिर चाहे जंग जमीनी हो
फर्क हमे क्या पड़ता है वो पाकी हो या चीनी हो
तुझको आँख दिखाये जो मै उसे नोच खा जाऊँगा
मिट्टी से तेरी बना हुआ मै मिट्टी मे मिल जाऊँगा
जीवन का हर अक्षर मैंने देश तुझी पर वार दिया
साथ दिया जबतक साँसों ने दुश्मन का संहार किया
लगी गोलियाँ तन पर मेरे कोना-कोना छलनी है
देश मेरे तेरी सेवा मुझको वापस फिरसे करनी है
मौत भला क्या कर लेगी मै वापस फिरसे आऊँगा
मिट्टी से तेरी बना हुआ मै मिट्टी मे मिल जाऊँगा
देश तेरा ये कर्ज भला मै कैसे आज चुकाऊँगा
मिट्टी से तेरी बना हुआ मै मिट्टी मे मिल जाऊँगा
कविराज तरुण