Sunday 27 August 2023

है कि या नही

सारा जहान साथ मेरे है कि या नही
इस बात से तो वास्ता मुझको रहा नही
बस एक तेरा नाम दिल मे ऐसे छप गया
अब और कोई नाम छपने पायेगा नही

Saturday 26 August 2023

ग़ज़ल - शायद

1212  1122 1212 22

मेरा ग़ुमान मेरे इश्क़ की जमीं शायद 
सज़ा थी एक हसीं और कुछ नही शायद

थी जिसकी प्यास मुझे जो तलाश थी मेरी
उसी के नाम रही उम्र-ए-आशिकी शायद

तेरे मकान से निकला उदासियाँ लेकर
खुदा का शुक्र तेरी आँख भर गई शायद

किसी ने पूछ लिया जो बताओ कैसे हो 
बता नही सकते हाल-ए-जिंदगी शायद

कि तेरी हद मे उजाले जवाँ रहे जबतक 
किसी ने देखी नही सैल-ए-तीरगी शायद

ये मेरा जिस्म मेरी रूह का तमाशा है
तमाशबीन रही साँस की लड़ी शायद

इसी फिराक मे तस्वीर ले के सोता हूँ
न जाने कब हो कोई शाम आखिरी शायद

कविराज तरुण 

चले गए

इसबार किसी हद से गुजरने चले गए
कुछ सोच के हम खुद को बदलने चले गए

वो काम जिसे लोग मुहब्बत कहा करें 
हम आज उसी काम को करने चले गए

तारीख मेरे हक़ मे करे कोई फैसला
हम इश्क़ के दरिया मे उतरने चले गए

बहके हुए दिन रात बुरा हाल है मेरा
इस हाल को फिलहाल बदलने चले गए

बेबाक हवा नाम तेरा लेके जब चली
हम उसकी महक साँस मे भरने चले गए

Friday 4 August 2023

मुहब्बत करी जाये

काम मुश्किल है फिर भी ये हिमाकत करी जाये 
अपने दिल की दहलीज़ो से बगावत करी जाये

ऐसा क्या है जो तुझको मेरा होने नही देता
मिल जाओ किसी रोज तो मुहब्बत करी जाये