मेरे बांके बिहारी अरज सुन लो ...
हूँ मै दासी तुम्हारी मुझे चुन लो ...
मेरे बांके बिहारी अरज सुन लो ...
तेरी बंशी बजे मेरे कानो में ... मेरे कानो में ...
तू मन को प्यारा लगे भगवानो में ... भगवानो में ...
पीला अम्बर तेरा तिरछे नैना तेरे ...
भोली मुस्कान है चक्षु रैना तेरे ...
अपनी मुरली में ... अपनी मुरली में ...
अपनी मुरली में सतरंगी सी धुन लो ...
मेरे बांके बिहारी अरज सुन लो ...
हूँ मै दासी तुम्हारी मुझे चुन लो ...
द्वारिका का किशन मेरा सांझी है ... मेरा सांझी है ...
हूँ मै कस्ती तेरी , तू मेरा माझी है ... मेरा माझी है ...
तेरी अठखेलियाँ तेरी लीला अमर ...
ब्रज की गोपियाँ तुमको चाहे कुंवर ...
अपनी वाणी से ... अपनी वाणी से ...
अपनी वाणी से ताना-बाना मधुर बुन लो ...
मेरे बांके बिहारी अरज सुन लो ...
हूँ मै दासी तुम्हारी मुझे चुन लो ...
--- कविराज तरुण
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