Tuesday 27 April 2021

ग़ज़ल - सवाल खो गया

जवाब दूंढते रहे सवाल खो गया
ये देखिये शहर का कैसा हाल हो गया

किसान इकतरफ लड़ाई लड़ रहे वहाँ
जहाँ कफन सँभालता वो लाल सो गया

लताड़ रोज लग रही है कोर्ट से मगर
चुनाव फिर भी हो रहा कमाल हो गया

वो आये और 'मन की बात' कह के चल दिये
ये पैंतरा तो फिर से इक मिसाल हो गया

दिखा सके जो सच 'तरुण' वो आइना कहाँ
ये मीडिया ही आजकल दलाल हो गया

कविराज तरुण

Monday 26 April 2021

ग़ज़ल - आजकल

शहर की आजकल मेरे हवा खराब है
सुलग रही जमीं फलक ये माहताब है

अभी अभी खबर मिली कहीं गया कोई
अभी अभी दिलों का खौफ़ कामयाब है

जली हुई चिता की आग देख सामने
डरा हुआ सिमट रहा वो आफताब है

मिले अगर खुदा तो पूछ लूँगा मै उसे
तू जिंदगी का ले रहा ये क्या हिसाब है

सवाल जस का तस यही बना हुआ 'तरुण'
वो कौन बेरहम कुचल रहा गुलाब है

कविराज तरुण

Sunday 25 April 2021

ग़ज़ल - कुछ नही होगा




आप अपनी हेल्थ की चिंता न ज्यादा कीजिये
ठीक हो जायेगा सबकुछ ये भरोसा कीजिये

क्या हुआ जो आप थोड़ा सा हुए बीमार हैं
'हिम्मते मर्दे खुदा' बस ये ही सोचा कीजिये

मुश्किलों से है भरा पर वक़्त ये कट जायेगा

फुर्सतों में आप हँस के वक्त काटा कीजिये

पॉजिटिव हो सोच तो फिर हर जगह ही जीत है
शांत मन के साथ सबसे बात साँझा कीजिये

भाँप लेना है जरूरी ले सकें जितनी दफा
और यदि मौका मिले तो योग थोड़ा कीजिये

मास्क चहरे पर लगाना है जरूरी जान लो

हाथ धोने का कभी मौका न छोड़ा कीजिये

है दवा उपलब्ध तो घबरा रहे हो क्यों 'तरुण'
'कुछ नही होगा' ये मन मे भाव पैदा कीजिये

कविराज तरुण

Friday 23 April 2021

लेकिन फरक किसको पड़े

जिंदगी लाचार है लेकिन फरक किसको पड़े
हर कोई बीमार है लेकिन फरक किसको पड़े

वो चुनावी जंग के फिर सूरमा बनने चले
वाह क्या सरकार है लेकिन फरक किसको पड़े

कुंभ में जमकर नहाने चल दिये हैं इकतरफ
इकतरफ इफ़्तार है लेकिन फरक किसको पड़े

ब्लैक मे ही बिक रही है ये हवा औ ये दवा
चोर थानेदार है लेकिन फरक किसको पड़े

जान का जोखिम लिए वो काम पर तो जा रहा
घुस गया व्यापार है लेकिन फरक किसको पड़े

हरतरफ बस मौत का ही खेल चालू हो गया
खूब हाहाकार है लेकिन फरक किसको पड़े

कविराज तरुण


Thursday 15 April 2021

जन्मदिवस बधाई

उन्मुक्त सोच के बलबूते जिसने सबको आवाजें दी हैं
संघर्षों के बीच भँवर मे जिसकी सारी उम्र तपी है
जो लोगों के हृदयांगन में जड़ें जमाये बैठा है
जिसने सूरज को पश्चिम से भी भोर निकलते देखा है

उनको उनके जन्मदिवस पर ढेरों-ढेर बधाई हो
स्वास्थ्य रहे मंगल मंगल उज्ज्वल सी परछाई हो

जिसने जीवन के हर लम्हे से लड़कर जीना सीखा है
जिसने विष का प्याला भी हँसकर पीना सीखा है
जिसको अपने से ज्यादा ही दूजे की चिंता रहती है
जिसके मन में निर्मल पावन गंगा अविरल बहती है

उनको उनके जन्मदिवस की ढेरों-ढेर बधाई हो
मधुर-मधुर संगीत सुनाती जीवन में पुरवाई हो

जिसको अपना कहने में गर्व हमेशा होता है
जिसके आदर्शों की बगिया में मन हम सबका खोता है
जिसकी लंबी उम्र रहे ये दुआ स्वयं ही आती है
जिससे मिलने से हर चिंता खुद गायब हो जाती है

उनको उनके जन्मदिवस की ढेरों-ढेर बधाई हो
खुशियों से भरपूर सदा हर सपनें की भरपाई हो