Monday 23 June 2014

तबाह

तबाह हो जाने दे सनम आज , कसम आज तुम्हे ।
इस अँधेरे मे हो जाने दे , दफ़न आज मुझे ।
खुद को तुझसे , तुझ को खुद से अलग कैसे करूँ ।
मेरी उम्मीदों का तू दे दे , कफ़न आज मुझे ।
कि गम से गुम हुआ , गुम से गुमनामी की तरफ ।
हँसते गाते जो कटे दिन , वो बदनामी की तरफ ।
जो मुझे मुझसे बेहतर समझते थे , हैं हैरानी की तरफ ।
बिखरे सपने पहुँच पाए नही , किसी कहानी की तरफ ।
अपने हाथो से ही करना था , खुशियों का दमन आज मुझे ।
तुझमे खोया था अबतक , तुझको खोया हूँ अब जब ।
तेरा चेहरा नही आँखों से हटता , सनम आज मुझे ।
तबाह हो जाने दे सनम आज , कसम आज तुम्हे ।
--- कविराज तरुण

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