Friday, 23 September 2016

आतंक का कुनबा

*आतंक का कुनबा*

है लाज अगर इस्लाम की
गर पढ़ा  है तुमने कुरान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

डरते यहाँ आका सेना से
कहीं तख्तापलट न हो जाये ।
पनाह न दे जो आतंकी को
सर धड़ से अलग न हो जाये ।

इंसानियत के खून की ट्रेनिंग
भले क्यों देता है ये इंसान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

कलम छोड़ कर हाथों से ये
बम बनाना सीख गये ।
घर की जिम्मेदारी को भूल फरेबी
हथियार उठाना सीख गये ।

लानत है दोजख की तुमको
बच्चों मे न देखा भगवान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

तुम इतराते हो जिसके दम पर
उनका भी हाल वही होगा ।
जिद पर आ जायेंगे तो
फिर कोई सवाल नही होगा ।

कम पड़ जायेगी मिट्टी भी
तरसेगा तू खाली शमशान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

बलूच - सिंध को दूर किया है
नित अपने दूषित संवादों से ।
अजमल सईद ओसामा को
पाला है नापाक इरादों से ।

हैवानियत की रूह तेरी ये
समझेगी भला क्या इंसान को ।
आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

तुम आतंकी को नेता कहते हो
हाँ ये सच है हमें गुरेज नही ।
और तुम जैसा नेता आतंकी है
ये कहने में हमें परहेज नही ।

*शरीफ* शराफत का इल्म हो तो
नष्ट करो इन आतंकी फरमान को ।
या आतंक का कुनबा कह दो तुम
इस समूचे पाकिस्तान को ।

✍🏻कविराज तरुण

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