[10/9, 19:39] कविराज तरुण: विषय- हास्य
विधा- घनाक्षरी
बीवी मेरी आजकल
फेसबुक चला रही
एंगल बदल नये
फोटो भी खिंचा रही
ईयरफोन कान में
हाथ में एप्पल लिए
एक हाथ से ही देखो
रोटी वो बना रही
डीपी करे अपलोड
रोज रोज रात में ही
उठते ही भोर भोर
लाइक करा रही
सखियाँ तो झूठ मूठ
पुल बाँधे तारीफों के
करीना भी फेल हुई
माधुरी लजा रही
सुन सुन यही सब
पेड़ चढ़ी मैडम जी
बोलीं सुनो हे पति जी
टीवी पर आऊँगी
मेरी स्माइल ग़दर
मेरा स्टाइल ग़दर
चलचित्र पे धमाके
रोज ही कराऊँगी
सलमान साथ होगा
ऋतिक भी पास होगा
शाहरुख़ के साथ मै
गीत नया गाऊँगी
परदे की क्वीन बनूँ
नागिन की बीन बनूँ
रैप में कभी कभी तो
सुर मै लगाऊँगी
सुन मेरे होश उड़े
भूत क्या चढ़ा है इन्हें
घर बार छोड़ सब
धुन क्या बजा रही
मैडम जी बात सुनो
सब मायामोह है ये
जाने कैसे कैसे स्वप्न
आप ये सजा रही
फेसबुक का ही सारा
लगता कसूर सब
देखो तेरी सखियाँ भी
कैसे मुस्कुरा रही
छोड़ दो भरम प्रिये
हाथ तेरे जोड़ता हूँ
स्वर्ग जैसे घर को क्यों
नरक बना रही
कविराज तरुण
[10/9, 19:39] कविराज तरुण: अपनी पति (म्यूजिक टीचर) से तंग पत्नी की व्यथा-
कान्हा बने गोपियों के
बाँसुरी बजाओ नही
प्रीत में मगन होके
ऐसे गीत गाओ नही
सत्य है जो प्रेम तेरा
हमसे निभाओ रीत
अनेकता में एकता
पाठ सिखलाओ नही
देशप्रेम , भक्ति , सीख
ऑप्शन धरे हुये हैं
प्यार प्यार प्यार प्यार
ये ही दोहराओ नही
कुंडली सी मारे रहो
घर में पधारे रहो
गीत ये सिखाने कहीं
बाहर तो जाओ नही
अरिजीत के चचा हो
या कहो कि कौन हो जी
प्यार की ही धुन साधो
घर मे तो मौन हो जी
भज के भजन करो
मेरी ओर मन करो
कहीं और ताको नही
नर हो कि ड्रोन हो जी
पति बोला हाथ जोड़
शक न करो सनम
तुम्ही मेरी प्रेरणा हो
तुम्ही मेरा जोन हो जी
गीत मेरा काम धाम
ये ही मेरी जीविका है
रिंगटोन हो कोई भी
तुम्ही मेरा फोन हो जी
कविराज तरुण
[10/19, 16:03] कविराज तरुण: हमको मन के रावण को ,
आज अभी हरना होगा
जीवन की आपाधापी में ,
सत्य राह पर चलना होगा
कठिन नही है अच्छा बनना ,
बुरे कर्म से दूर रहो बस
तिमिर रेख पगडण्डी पर ,
दीप प्रज्ज्वलित करना होगा
चाह अगर स्वर्णबेल सा ,
जीवन चमके सकल धरा पर
तपन सोखते हुए चराचर ,
अगन ताप में गलना होगा
मारो मन के रावण को यूँ ,
कुछ शेष नही अवशेष रहे
सहज भाव समभाव सभी से ,
राम तुम्हे भी बनना होगा
कविराज तरुण
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