राजभाषा हिन्दी
उठो ! जागो ! निज भाषा को अपना लो
हिन्दी बुला रही है.. ऐ हिन्दुस्तानी ! लाज बचा लो
मै पुरखों की अतुल्य धरोहर,
और संस्कृत की बेटी हूँ ।
सिंहासन पर पली-बढ़ी मै,
आज चिता पर लेटी हूँ ।।
सहज , सरस और सरल सा,
मेरा ये इतिहास बड़ा ।
आकर काश मुझे कर दे तू,
निज पंजों पर फिरसे खड़ा ।
विस्मित माँ की आँखों से.. आँसू की हर बूँद हटा लो
हिन्दी बुला रही है.. ऐ हिन्दुस्तानी ! लाज बचा लो
एक हजार वर्षों से ज्यादा,
मैंने देश की सेवा की है ।
अवधी ब्रज बुंदेली मगही,
सब तो मेरी ही बोली है ।।
आजादी की लड़ी लड़ाई,
संविधान में शामिल हूँ मै ।
देशप्रेम की अलख जगाई,
जनवाणी हूँ काबिल हूँ मै ।।
फिल्मी दुनिया खुद कहती है.. हिंदी से संगीत सजा लो
हिन्दी बुला रही है.. ऐ हिन्दुस्तानी ! लाज बचा लो
तरुण कुमार सिंह
प्रबंधक
विपणन विभाग - लखनऊ अंचल
क. सं. 57228
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