Wednesday 18 August 2021

थोड़ी थोड़ी गलती है

मेरी है या तेरी है या किसकी है
हर हिस्से की थोड़ी थोड़ी गलती है

आँखों में सैलाब छुपाकर क्या होगा
रो लेने दो दिल की जबतक मर्जी है

हर कोई तेरे जैसा हो बात गलत
सबकी अपनी रागें अपनी ढपली है

जो जैसा हो उसको वैसा ही मानो
दुनिया अपने ढर्रे पर ही चलती है

उम्मीदों का भार 'तरुण' जब ज्यादा हो
कुछ हटकर करने की जिद तब अच्छी है

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