Sunday 2 July 2023

मन बातों का एक ठिकाना

*मन बातों का एक ठिकाना*

मन बातों का एक ठिकाना
जिसमे सुख दुख आना जाना
कभी नये गीतों की सोचे
कभी सुनाये गीत पुराना

मौजी है मन बड़ा सयाना 
मन बातों का एक ठिकाना

मीत वही जो मन को भाये
प्रीत वही जो मन ले जाये
गीत वही जो मन ये गाये
रीत वही जो मन से आये

सबकुछ मन का ताना बाना
मन बातों का एक ठिकाना

कभी कभी व्याकुलता घेरे
कभी कभी इस जग के फेरे
कभी मिले मन तेरे मेरे
कभी मिलें बस धुप्प अँधेरे

फिर भी मन को चलते जाना
मन बातों का एक ठिकाना

रहती चिंता भारी मन को
तरसे वो फिर अपनेपन को
देखे ऐसे वो जीवन को
जैसे चातक देखे घन को

खोया अपना उसको पाना
मन बातों का एक ठिकाना

मन का बैरी मन ही जाने
अपनी दुनिया लगे बनाने
छलनी से बातों को छाने
लगा रहे फिर स्वाँग रचाने

मन ही अपना मन बेगाना 
मन बातों का एक ठिकाना

तरुण कुमार सिंह
प्रबंधक, यूको बैंक 
क.सं. - 57228

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