Thursday, 24 October 2024

ग़ज़ल- बताना तुम

जरा सी बात करना और हम से रूठ जाना तुम
यही आता यही करके हमें फिर से दिखाना तुम

मुझे लगता है सारी उम्र ऐसे बीत जायेगी
कभी तुमको मनाऊंगा कभी मुझको मनाना तुम

जमाने भर की दौलत का करूँगा क्या तुम्हारे बिन
मेरी हर एक पाई तुम मेरा सारा खजाना तुम

मै तुमसे जीत सकता हूँ मगर मै हार जाऊँगा 
मेरी बस एक कमजोरी नही आंसूँ बहाना तुम

'तरुण' होने की मुश्किल है कि बूढ़ा हो नही सकता 
बुढ़ापा आ भी जाये तो नही मुझको बताना तुम

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