तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की
इन्हें पता है तुमने कैसे ख़्वाब दिखाए रातों में
इन्हें पता है आशाओं के दीप जले थे बातों में
इन्हें पता तुम खुश कितनी हो जाती थी बरसातों में
इन्हें पता है चलना फिरना हाथ पकड़कर हाथों में
इन्हें पता है अपनी सारी बातें बीते सालों की
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की
पहली दफा जो आई थी तो इन्हें हटाया था मैंने
चिपक गए थे दीवारों से खूब छुड़ाया था मैंने
पर इनको इन दीवारों से जाने कैसी उल्फत थी
मुझको तुमसे, इनको दीवारों से बड़ी मुहब्बत थी
तभी उकेरी दीवारों पर तस्वीरें उलझे बालों की
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की
इन जालों से कह लेता हूँ जो भी आता है मन में
दर्द तेरे जाने का सहना सबसे मुश्किल जीवन में
खुशियाँ लेकर चली गई तुम तबसे घर के आँगन में
पतझड़ ही पतझड़ है शामिल वर्षा गर्मी सावन में
यही जानते हैं केवल गति क्या है हिय के छालों की
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की
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