Tuesday, 26 November 2024

मेरे घर के जालों की

मैंने अपने दिल की सुन ली तुमने दुनिया वालों की
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की

इन्हें पता है तुमने कैसे ख़्वाब दिखाए रातों में 
इन्हें पता है आशाओं के दीप जले थे बातों में
इन्हें पता तुम खुश कितनी हो जाती थी बरसातों में 
इन्हें पता है चलना फिरना हाथ पकड़कर हाथों में

इन्हें पता है अपनी सारी बातें बीते सालों की
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की

पहली दफा जो आई थी तो इन्हें हटाया था मैंने 
चिपक गए थे दीवारों से खूब छुड़ाया था मैंने
पर इनको इन दीवारों से जाने कैसी उल्फत थी 
मुझको तुमसे, इनको दीवारों से बड़ी मुहब्बत थी

तभी उकेरी दीवारों पर तस्वीरें उलझे बालों की
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की

इन जालों से कह लेता हूँ जो भी आता है मन में 
दर्द तेरे जाने का सहना सबसे मुश्किल जीवन में 
खुशियाँ लेकर चली गई तुम तबसे घर के आँगन में 
पतझड़ ही पतझड़ है शामिल वर्षा गर्मी सावन में

यही जानते हैं केवल गति क्या है हिय के छालों की 
तुम क्या जानो कीमत क्या है मेरे घर के जालों की

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