Sunday, 24 December 2023

हाँ यही अच्छा रहेगा

हो सके तो भूल जाना हाँ यही अच्छा रहेगा
फिर किसी से दिल लगाना हाँ यही अच्छा रहेगा

काटना मुश्किल है रातें खैर ये मेरे लिए है 
तुम हमेशा मुस्कुराना हाँ यही अच्छा रहेगा

पूछ लेगा कोई तुमसे मेरे बारे में कभी जब
सरफिरा था ये बताना हाँ यही अच्छा रहेगा

दो गुजरे साथ तेरे दो गुजारेंगे तेरे बिन
चार दिन का है ठिकाना हाँ यही अच्छा रहेगा

उसकी तस्वीरें हटा दो फोन से अपने 'तरुण' अब 
देख लेगा ये ज़माना हाँ यही अच्छा रहेगा

Monday, 27 November 2023

आती नही

मुझे हर चीज तो पसंद आती नही
ये चाँद सितारे हैं कोई बाराती नही
इतना कह के वो छोड़ गई मुझको
इक तेरे सिवा कोई मेरा साथी नही

जी पाऊँगा नही

इक गीत लिखा पर तुम्हें सुनाऊँगा नही
जो दूर गया तो कभी मै आऊंगा नही 
है मुझको तेरे प्यार में मरने की मनाही 
ज़िंदा भी रहूँ तो भी मै जी पाऊँगा नही

Wednesday, 22 November 2023

चंद मुलाकाते करना

कभी खामोश रहना कभी बे-इंतेहा बातें करना
कितना जरूरी है चंद मुलाकाते करना

तू एक ख्वाब है जो नींद में दिखाई देगा
इसी इंतज़ार में दिन काटना और रातें करना

Wednesday, 25 October 2023

खुश आमदीद है

221 222 2 22 1212

ये आंखें इक अरसे से जिनकी मुरीद है
वो आ गए महफिल में खुश आमदीद है

हम सरफिरों को चाँद-सितारे जहाँ मिले
उस रोज है दीवाली उस रोज ईद है

उसको गवाही देनी है जालसाज की
जो जालसाजी करके खुद मुस्तफीद है

इज्जत कमाने निकले हम देखभाल के
किसको पता था ये भी अब जर-खरीद है

इस रूह से मत पूछो के बिक के क्या मिला
वो झूठ कैसे बोले जो चश्मदीद है

Monday, 23 October 2023

ग़ज़ल - इकदिन

तुम्हें याद मेरी भी आएगी इकदिन
जमीं झूमकर मुस्कुराएगी इकदिन

हाँ गफलत रही है यही जिंदगी भर
ये है जिंदगी बीत जाएगी इकदिन

जियादा जरूरी है जो चीज तुमको
वही चीज तुमको सताएगी इकदिन

मुहब्बत के इन बेगुनाहों से कह दो
मुहब्बत ही दिल ये दुखाएगी इकदिन

बमुश्किल सँभाला है इन आंसुओं को
ये है जिंदगी तो हँसाएगी इकदिन

Friday, 6 October 2023

आज फिर

आ गया आँख में दर्द-ए-गम आज फिर
हर अकेले का रहबर अलम आज फिर

था जो अपने मुताबिक हमेशा से ही
वक़्त वो ही हुआ बेरहम आज फिर

देर तक राह पर आग जलती रही
और उसपर कदम दर कदम आज फिर

कौन कितना सही आज किसको कहे
हो रहा हर किसी को वहम आज फिर

दे रहा है ज़खम पर ज़खम इश्क़ ये 
सह रहा हूँ सितम पर सितम आज फिर

Thursday, 5 October 2023

मिल लिया करे

ये जरूरी नही मेरे हक़ में कोई फैसला करे
पर मिलने की जिद करूँ तो मिल लिया करे

तमाम शिकवे शिकायतें अपनी जगह महफूज़ हैं
पर कुछ बातों को पल भर के लिए अनसुना करे

जो काम मुश्किल है वही मेरे हिस्से आता है 
इतनी हिम्मत कहाँ मुझमे कि तुमको मना करे

जो मेरे साथ खुश है जिसे मुझपर यकीन भी है
वो मेरे साथ चले वर्ना वो मुझे अलविदा करे

मै अबतक न समझा इबादत में दखल का मकसद
जो अपना है ही नही उसका कोई क्या गिला करे

ये जरूरी नही मेरे हक़ में कोई फैसला करे
पर मिलने की जिद करूँ तो मिल लिया करे

Sunday, 1 October 2023

मौज हो

फूलों की फ़िकर क्या करें कांटों की मौज हो 
नीदों की जगह आँख में ख्वाबों की मौज हो 
जब चार दिन का ये सफर ही पास है तेरे
मंजिल की खबर हो न हो राहों की मौज हो

Thursday, 28 September 2023

ग़ज़ल - कलयुग

ग़ज़ल - कलयुग

221 2122 221 212
कल का ग़ुमान मत कर, जो है वो आज है
किसके हवाले कबतक, ये तख़्त-ओ-ताज़ है

अंतिम सफर सभी का होता है एक जैसा
माना अलग तरह का रश्मोरिवाज़ है

हर चीज मे मिलावट हर बात खोखली
कैसे हैं लोग इसके कैसा समाज है

वहशी बना हुआ है जिस दिन से आदमी
उस दिन से जानवर का बदला मिजाज है

कलयुग तुम्हे मुबारक अब रंग-ओ-रोशिनी
फैला जहाँ मे तेरा अब कामकाज है

मतला शेर - मोहब्बत मेरी

दो आँखों में सिमटी है सल्तनत मेरी
यही मक़ाम है मकसद और दौलत मेरी
तमाम किस्सों में क्या ख़ाक बयाबानी है
अभी देखी कहाँ जमाने ने मोहब्बत मेरी 

Friday, 22 September 2023

मतला शेर - कहा ही नही

साथ रहते हुए भी रहा ही नही
आँख में बस गया तो बहा ही नही 
उसकी धड़कन लगातार कहती रही
मुँहजुबानी मगर कुछ कहा ही नही

Thursday, 21 September 2023

लहजा समझता है

मेरी बातों से ज्यादा वो मेरा लहजा समझता है
बड़ा मगरूर है जाने वो खुद को क्या समझता है
मैं इतना ही तो कहता हूं मेरे ख्वाबों में आ जाओ
जरा सी बात का मतलब वो कुछ ज्यादा समझता है

Saturday, 16 September 2023

ग़ज़ल - काश

काश! ऐसा हो किसी दिन लौट आये तू कभी
वक़्त की रुसवाइयों को भूल जाये तू कभी

उन दिनों की याद में हम फिर न सोये रात भर
जागती आँखों को आकर फिर सुलाये तू कभी

तुमने हँसकर बादलों को ऐसे घायल कर दिया
वो बरसते ही रहे के भीग जाये तू कभी

अपने दिल की हसरतों को क्या बतायें आप से
बिन कहे और बिन सुने ही मुस्कुराये तू कभी

जिंदगी भर गीत तेरे ही लिखें मैंने तरुण
काश! ऐसा हो कि इनको गुनगुनाये तू कभी

Friday, 1 September 2023

ग़ज़ल - ताज़ा तरीन है

हर मोड़ पर हैं मुश्किलें फिर भी यकीन है 
अहसास तेरे साथ का ताज़ा तरीन है

जो रुक गया था बीच मे वो तो है ग़मज़दा 
जो साथ तेरे चल पड़ा वो मुतमईन है

मिट्टी के होके कर रहे किस बात का ग़ुमाँ 
कबतक किसी के नाम लिखी ये जमीन है

ये जिंदगी है और इसका है ये फलसफा
दिल की नजर से देखिये तो सब हसीन है

इस उम्र मे सही गलत का सोचना भी क्या
जिस ओर चल पड़े कदम वो बहतरीन है

कविराज तरुण

Sunday, 27 August 2023

है कि या नही

सारा जहान साथ मेरे है कि या नही
इस बात से तो वास्ता मुझको रहा नही
बस एक तेरा नाम दिल मे ऐसे छप गया
अब और कोई नाम छपने पायेगा नही

Saturday, 26 August 2023

ग़ज़ल - शायद

1212  1122 1212 22

मेरा ग़ुमान मेरे इश्क़ की जमीं शायद 
सज़ा थी एक हसीं और कुछ नही शायद

थी जिसकी प्यास मुझे जो तलाश थी मेरी
उसी के नाम रही उम्र-ए-आशिकी शायद

तेरे मकान से निकला उदासियाँ लेकर
खुदा का शुक्र तेरी आँख भर गई शायद

किसी ने पूछ लिया जो बताओ कैसे हो 
बता नही सकते हाल-ए-जिंदगी शायद

कि तेरी हद मे उजाले जवाँ रहे जबतक 
किसी ने देखी नही सैल-ए-तीरगी शायद

ये मेरा जिस्म मेरी रूह का तमाशा है
तमाशबीन रही साँस की लड़ी शायद

इसी फिराक मे तस्वीर ले के सोता हूँ
न जाने कब हो कोई शाम आखिरी शायद

कविराज तरुण 

चले गए

इसबार किसी हद से गुजरने चले गए
कुछ सोच के हम खुद को बदलने चले गए

वो काम जिसे लोग मुहब्बत कहा करें 
हम आज उसी काम को करने चले गए

तारीख मेरे हक़ मे करे कोई फैसला
हम इश्क़ के दरिया मे उतरने चले गए

बहके हुए दिन रात बुरा हाल है मेरा
इस हाल को फिलहाल बदलने चले गए

बेबाक हवा नाम तेरा लेके जब चली
हम उसकी महक साँस मे भरने चले गए

Friday, 4 August 2023

मुहब्बत करी जाये

काम मुश्किल है फिर भी ये हिमाकत करी जाये 
अपने दिल की दहलीज़ो से बगावत करी जाये

ऐसा क्या है जो तुझको मेरा होने नही देता
मिल जाओ किसी रोज तो मुहब्बत करी जाये

Wednesday, 12 July 2023

ॐ शिव शंकर शम्भू

ॐ शिव शंकर शम्भू 

शिव तुम ही रखवाले, तुम ही प्राणप्रिये
प्रभु तुम ही प्राणप्रिये
तुमको जो भी ध्यावे, उसको तार दिये
ॐ शिव शंकर शम्भू

श्रावण मास तुम्हारे, हिय को अति प्यारा
प्रभु हिय को अति प्यारा
भक्त करे जल अर्पण, बोले जयकारा
ॐ शिव शंकर शम्भू

नाद करे जल मारुत, मेघ करे गर्जन
प्रभु मेघ करे गर्जन
विधिवत सृष्टि तुम्हारा, करती है अर्चन
ॐ शिव शंकर शम्भू

नेहभाव से रहते, मूषक बाघ शिखी
प्रभु मूषक बाघ शिखी
धेनु रहे सेवा में, नाग बने कंठी
ॐ शिव शंकर शम्भू

कांवड़ लेकर जाये, भक्त मगन तेरा
प्रभु भक्त मगन तेरा
झूमे नाचे गाये, जहाँ लगे डेरा
ॐ शिव शंकर शम्भू

भोलेनाथ तुम्हारा, जो भी नाम जपे
प्रभु जो भी नाम जपे
संकट उसका कटता, रूठे भाग्य जगे
ॐ शिव शंकर शम्भू

कविराज तरुण

Saturday, 8 July 2023

शायरी संग्रह 1

हम रो रहे हैं लेकिन रोते नही हैं हम
यें दर्द-ए-आशिकी का अंजाम है हमारा
मुझको सिखा रहे हो जीने का फलसफा तुम
एक उम्र से यही तो बस काम है हमारा
....................
आज फिर उस बेवफा को याद किया जायेगा
वक़्त बहुत है थोड़ा और बर्बाद किया जायेगा
उसने मेरी आँखों को दी है इतनी दौलत
इन मोतियों से गुलिस्तां आबाद किया जायेगा
....................
कुछ तुम आये और कुछ तुम्हारी याद आ गई
बहुत जोर की बरसात उसके बाद आ गई
लिखा था अपने गम हो दो चार पंक्तियों में
उस बेवफा की उस पर भी दाद आ गई 
....................
मेरा हर मर्ज दवा की तलाश करता है
दवा के बाद दुआ की तलाश करता है
ये मेरा इश्क़ कहाँ से इलाज खोजेगा
तुम्हारे दर पे खुदा की तलाश करता है
....................
जीवन क्या है थोड़े नियम थोड़ी लापरवाही है
रस्ता है ये अरमानों का जिसपर आवा जाही है
कहाँ खड़े हो हाथ पसारे उम्मीदों की चौखट पर
किस्मत तो बस उसकी है जो चलता फिरता राही है
....................
वो मंज़िल हो कहीं भी पर उसे आना है बाजू में
मेरे ज़ज़्बात आयेंगे कहाँ तक मेरे काबू में
चलो ये दिल इधर रक्खा उधर रक्खा है किस्मत को
वजन देखे किधर होगा मुहब्बत की तराजू में
....................
वो एक शाम थी तमाम शामों की तरह
अहदे उल्फत के वाजिब गुलामों की तरह
उसका आना क्या किसी दहशत से कम था
वो जब आई तो आई इलज़ामों की तरह
....................
हर ख़ुशी हर पाई का वो हिसाब रखता है
अपनी आँखों में बच्चों के ख्वाब रखता है
खुद की परवाह करना तो उसे आता नही
वो बाप है! अपने दुखों पर नकाब रखता है
....................
इस किनारे से उस किनारे का सफर
मोहब्बत क्या है इक इशारे का सफर
टूटने के बाद भला कौन याद रखता है
कैसा गुजरेगा टूटते तारे का सफर
....................
किसी को प्यार करने से मुनासिब कुछ नही होता
ये दिल का मामला है यार वाजिब कुछ नही होता
लिखा है जो हथेली पर वही होगा वही होगा
किसी के चाह लेने के मुताबिक कुछ नही होता
....................
एक तुम हो जो आवाज भी नही देते हो
एक वो है जो मुझपे जान देता है
तुम्हे तो मेरे आंसूँ भी नही दिखते हैं
वो तो मेरा दर्द भी पहचान लेता है
....................
तुम बोलो और मान लूं मै भी ये इतना आसान कहाँ
मै भी थोड़ा पढ़ा लिखा हूँ तुम भी हो विद्वान कहाँ
गायब होते देखे हैं लश्कर भी मैंने मौके पे
इतना तो मालुम है मुझको बिकता है इंसान कहाँ
....................
छोटी सी जिंदगी में क्या क्या न देखा मैंने
टूटी हुई नींद में टूटा हुआ सपना मैंने
प्यार धोखा दोस्त जलन और न जाने क्या क्या
इनसे ही सीख लिया जीने का तरीका मैंने
....................
बात अपनों की हो अगर फर्क तो पड़ता है
यूँही गुम जाये रहगुजर फर्क तो पड़ता है
यूँ तो उम्र गुज़ारने को ये जगह भी ठीक है
पर जो अपना हो ये शहर फर्क तो पड़ता है
....................
वो जब नाराज होता है तो बातें तक नही करता
मेरे कमरे में आकर के कभी बक बक नही करता
कि मेरा काम ऐसा है हज़ारों लोग मिलते हैं 
मगर इतनी गलीमत है कभी वो शक नही करता
....................
सबकी अपनी बातें हैं और सबका तौर तरीका है
तूफ़ानों से लड़ना हमने चट्टानों से सीखा है
बुझदिल समझा है क्या हमको जो ऐसे ही डर जायें
अपने अंदर खून अभी भी राणा का छत्रपती का है
....................

Sunday, 2 July 2023

शायरी - जीवन क्या है लापरवाही

जीवन क्या है थोड़े नियम थोड़ी लापरवाही है
रस्ता है ये अरमानों का जिसपर आवा जाही है
कहाँ खड़े हो हाथ पसेरे उम्मीदों की चौखट पर
किस्मत तो बस उसकी है जो चलता फिरता राही है

शायरी - तलाश करता है

मेरा हर मर्ज दवा की तलाश करता है
दवा के बाद दुआ की तलाश करता है
ये मेरा इश्क़ कहाँ से इलाज खोजेगा
तुम्हारे दर पे खुदा की तलाश करता है

मन बातों का एक ठिकाना

*मन बातों का एक ठिकाना*

मन बातों का एक ठिकाना
जिसमे सुख दुख आना जाना
कभी नये गीतों की सोचे
कभी सुनाये गीत पुराना

मौजी है मन बड़ा सयाना 
मन बातों का एक ठिकाना

मीत वही जो मन को भाये
प्रीत वही जो मन ले जाये
गीत वही जो मन ये गाये
रीत वही जो मन से आये

सबकुछ मन का ताना बाना
मन बातों का एक ठिकाना

कभी कभी व्याकुलता घेरे
कभी कभी इस जग के फेरे
कभी मिले मन तेरे मेरे
कभी मिलें बस धुप्प अँधेरे

फिर भी मन को चलते जाना
मन बातों का एक ठिकाना

रहती चिंता भारी मन को
तरसे वो फिर अपनेपन को
देखे ऐसे वो जीवन को
जैसे चातक देखे घन को

खोया अपना उसको पाना
मन बातों का एक ठिकाना

मन का बैरी मन ही जाने
अपनी दुनिया लगे बनाने
छलनी से बातों को छाने
लगा रहे फिर स्वाँग रचाने

मन ही अपना मन बेगाना 
मन बातों का एक ठिकाना

तरुण कुमार सिंह
प्रबंधक, यूको बैंक 
क.सं. - 57228

Wednesday, 10 May 2023

ग़ज़ल - कमाल है!

तुम्हे वफ़ा कबूल है कमाल है
तुम्हारा भी उसूल है कमाल है

तुम्हारे शौक आज भी हैं लाजिमी
हमारा सब फ़िजूल है कमाल है

कहीं किसी के बाग़ को उजाड़कर 
खिला तुम्हारा फूल है कमाल है

तुम्हे हवा लगी तपाक उड़ पड़े 
मिजाज तेरा धूल है कमाल है

करोगे सौ दफा तमाम गलतियाँ
बताओगे कि रूल है कमाल है

Wednesday, 8 March 2023

बदल ही गया

*ग़ज़ल - बदल ही गया*
*कविराज तरुण*

_याद आती है कई रोज बेवफा तेरी_
_कई रातें मै गुमसुम गुज़ार देता हूँ_
_ये नकाब-ए-हुस्न तेरा और किसको लूटेगा_
_आज महफिल मे इसे मै उतार देता हूँ_
••••••••••••••••
एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया
एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुम जो बदले तो मै भी बदल ही गया

एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

बोतलों मे भरी तेरी मक्कारियाँ
और हम पैग अपना बनाते रहे
बात उल्फत की महफिल मे चलने लगी
जाम पे जाम खुद को पिलाते रहे (2)

पीते पीते कदम लड़खड़ाये मगर
पीते पीते कदम लड़खड़ाये मगर
था सँभलना मुझे मै सँभल ही गया

तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुम जो बदले तो मै भी बदल ही गया

एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

रूह तुमसे जुड़ी तो जुड़ी रह गयी
दूसरा कोई दिल मे समाया नही
तुमने बस्ती बसाई पता है हमें
हमने खुद को कहीं भी बसाया नही (2)

लोग आये मगर वो चले भी गए
लोग आये मगर वो चले भी गए
वक़्त रहमोंसितम का निकल ही गया

तुमसे मिलने से पहले बड़ा ठीक था
तुम जो बदले तो मै भी बदल ही गया

एक वो दौर था तू मेरे रूबरू
रेत के जैसे पल वो फिसल ही गया

Tuesday, 7 March 2023

रंग का त्योहार होली

रंग, जो चमन के मुस्कुराते फूल में होते हैं 
रंग, जो हवा के हर मूल में होते हैं 
रंग, जो जड़ो में चेतन में धूल में होते हैं 
रंग, जो चुभते किसी शूल में होते हैं 
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो कहे वतन के खून की कहानी 
रंग, जो हमें बताये बात कोई पुरानी 
रंग, जो अंतर कहे कि खून या पानी 
रंग, जो सादगी की पहचान हैं निशानी 
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो उजड़ते चमन को महका दे 
रंग, जो खिलें और खिल के सबको बहका दे 
रंग, जो जल के भीतर भी ज्वाल दहका दे 
रंग, जो अंध में भी ज्योति दिखला दे 
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो लाये सुन्दरता में नया निखार 
रंग, जो दूर कर दे मुख से दाग या विकार 
रंग, जो याद दिलाये विजय का सार 
रंग, जो मधुमास में ले आए नवबहार 

// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

रंग, जो हमारी पहचान हैं निशानी 
रंग, जो मिलकर बनाए रंग नूरानी
रंग, जिसकी चाह में है दुनिया दीवानी
रंग, जो कहता नही है बात जुबानी
// उन रंगों की कहानी है भोली ...
आखिर रंग का त्योहार है होली //

Tuesday, 21 February 2023

भूल जाने के लिए है

ये मोहब्बत और वादा भूल जाने के लिए है
दिल का क्या है इक दफा तो आजमाने के लिए है

रूह तो शामिल नही है जिस्म की ही बात है अब
शादियों का नाम तो रस्में निभाने के लिए है

मै ठहर कर देखता हूं और आगे चल पड़ूं मै
उसकी गलियां रासतो का शक मिटाने के लिए है

उम्र आधी गफलतों में और आधी उम्र मेरी
इश्क कर देगा निकम्मा ये बताने के लिए है

देख लेगा वो हकीकत हो सके तो साफ कह दो
इस जहां को छोड़कर दुनिया दिखाने के लिए है

Thursday, 16 February 2023

तू मेरे साथ नही

ये दुख अजीब है के तू मेरे साथ नही
कैसा नसीब है के तू मेरे साथ नही

मुमकिन नही था पर वो इंसान आज मेरे
बेहद करीब है के तू मेरे साथ नही

ये मर्ज ला-इलाज है क्या इलाज करूं
कहता तबीब है के तू मेरे साथ नही

कल तक हमारे प्यार के जो खिलाफ रहा
वो अब हबीब है के तू मेरे साथ नही

लिक्खा है जिसने प्यार को प्यार के बिना
किस्मत अदीब है के तू मेरे साथ नही

Tuesday, 14 February 2023

बसर वो रोज करते हैं

हमारे ख्वाब में आकर बसर वो रोज करते हैं
रहें ये ज़ख्म भी ताजा कसर वो रोज करते हैं

तअल्लुक कुछ नही होता है मांझी का मुसाफिर से
मगर फिर भी न जाने क्यों सफर वो रोज करते हैं

बड़ा आसान था उनका ये कहना अलविदा तुमको
मगर फिर खुशनसीबी की खबर वो रोज करते हैं

यहां डूबे रहे शब में अंधेरों से हुई यारी
वहां उजली हुई दिलकश सहर वो रोज करते हैं

गवाही दिल नही देता उधर नजरें इनायत हों
किसी के नाम का सजदा जिधर वो रोज करते हैं

डर लगता है

बस इसी बात से मुझे डर लगता है
एक शख़्स ही सारा शहर लगता है

मोहब्बत एक दो दिन की बात नही
उम्र भर का इसमें सफर लगता है

उड़ने का काम परिंदो पे छोड़ दो
यूं तो हर काम में हुनर लगता है

दिल में जगह रखना तो काफी नही
घर बसाने के लिए भी घर लगता है

यही कश्मकश है यही दर्द-ए-पैहम
अपना नही है वो अपना मगर लगता है

Tuesday, 7 February 2023

नजर भर देख लूं

देखकर नजरें उतारूं या नजर भर देख लूं
सोचता हूं आंख में तेरी उतरकर देख लूं

आसमां के चांद को है देखने का क्या सबब
इससे बेहतर चांद अपना मै जमीं पर देख लूं

एक मुद्दत बाद तुम आए हो मेरे सामने
अब जरूरी है तेरी खातिर कहीं घर देख लूं

दिल बहलता ही नही अब बारिशों में भींगकर
हुस्न तेरी मौज के भीतर समंदर देख लूं

इश्क तेरी राह में कितने मुसाफिर खो गए
इकदफा इस रहगुजर से मै गुजर कर देख लूं

Sunday, 5 February 2023

नंबर भी बदलता है

वो बाहर भी बदलता है वो अंदर भी बदलता है
वो जब खुद को बदलता है तो नंबर भी बदलता है

चले जिसके किनारे साथ दोनो हाथ हाथों में
बदलने को जो आए तो समंदर भी बदलता है

उसे मै खोजने की क्यों करूं कोशिश बताओ तुम
सितारे चांद बादल और अंबर भी बदलता है

पकड़ पाना नही मुमकिन निगाहों से हुए घायल
वो झपके जब पलक अपनी तो खंजर भी बदलता है

किसी दिन तुम खड़े होगे वहीं पर हैं जहां पर हम
सुना है वक्त बदले तो ये मंजर भी बदलता है

Sunday, 29 January 2023

मुझे वापस बुलाती है

कभी तेरी गली मुझको बड़ा आवाज देती है
कभी तेरी वो फुलवारी मुझे वापस बुलाती है

बमुश्किल से तुझे जाना कभी मै भूल पाता हूं
मगर जब भूल जाता हूं तो तेरी याद आती है

कई मौसम यहां बदले मगर ये बात ना सुलझी
ये बारिश घर मे आकर के मुझे ही क्यों भिगाती है

वो आँखें मर मिटा जिनपर कोई ख्वाबों का शहजादा
उन्हीं आंखों के दरिया में ये कश्ती डूब जाती है

मुझे बिल्कुल नही मतलब तू कैसी है कहां है तू
हवा फिर भी ये जाने क्यों खबर तेरी बताती है

Saturday, 28 January 2023

आग लगा दी

पुरानी बातें हैं वो इश्क मोहब्बत वाली
लड़का था पागल लड़की भोली भाली

एक दूसरे में उनकी जान बसा करती थी
जैसे फूलों की बगिया बगिया का माली

उनके बारे में लोग उड़ाते थे अफवाह
हर एक की नजर थी उन पर सवाली

दुनिया को उनसे दिक्कत थी इतनी
के हर कोई देता था उनको ही गाली

जमाना था दुश्मन घरवाले रुसवा
फिर क्या था दोनों ने आग लगा ली

आओ फिर से

इकबार तुम पागल बनाने आओ फिर से
दिल जान नींदों को चुराने आओ फिर से

जो तयशुदा है वो हमेशा साथ होगा
पर ये लकीरें आजमाने आओ फिर से

हूं अब नही वैसा जिसे तुम जानती हो
ये मोम जैसा दिल जलाने आओ फिर से

क्यों तोड़कर कसमें वफा की तुम गए थे
ये बात मुझको तुम बताने आओ फिर से

मै हूं अभी जिंदा तुम्हे मालूम होगा
जो हो सके मुझको मिटाने आओ फिर से

Sunday, 22 January 2023

जो भी है वो तुमसे है

इश्क मुहब्बत धोखा नफरत जो भी है वो तुमसे है
हसरत वसरत आदत वादत जो भी है वो तुमसे है

मुझको जो भी सबक मिला वो बोलो कैसे भूलूं मै
दहशत वहशत शिकवा शिद्दत जो भी है वो तुमसे है

आंख समंदर तेरी थी सो उसके अंदर डूब गया
डूबे इस दिल की अब हरकत जो भी है वो तुमसे है

कहते थे सब यार मुझे तुम कहां पड़े हो चक्कर में
पर मै कहता मेरी कुर्बत जो भी है वो तुमसे है

अब तुम वापस आकर भी कुछ ठीक नही कर सकती हो
सच तो ये है मेरी हालत जो भी है वो तुमसे है

Saturday, 21 January 2023

अच्छा कैसे लग सकता है

मुझको तेरा चुप हो जाना अच्छा कैसे लग सकता है
तुमको खोकर सबकुछ पाना अच्छा कैसे लग सकता है

जिन गलियों से खुशबू तेरी डोली सजकर निकल गई हो
उन गलियों में आना जाना अच्छा कैसे लग सकता है

अंत जहां पर खुशियों का हो इश्क जहां पर शर्मिंदा हो
दर्द भरा फिर वो अफसाना अच्छा कैसे लग सकता है

जिसने तेरी दहलीजों पे दिल की जन्नत देखी अबतक
उस पागल को पागलखाना अच्छा कैसे लग सकता है

तुम ही मुझको समझाती थी इश्क वफा की मीठी बातें
अब उल्टा तुमको समझाना अच्छा कैसे लग सकता है

Thursday, 19 January 2023

हो जायेगा

धीरे धीरे हाथ मिलाना हो जायेगा
उसके घर फिर आना जाना हो जायेगा

रफ्ता रफ्ता बात चलेगी इश्क वफा की
दिल ही दिल में एक ठिकाना हो जायेगा

कुछ दिन तुमको भायेंगे फिर चांद सितारे
आगे चलकर चांद पुराना हो जायेगा

फिर छोटी छोटी बातों पर होगी अनबन
चुपके चुपके अश्क बहाना हो जायेगा

तब दूरी बढ़ जायेगी यूं मीलों लंबी
इश्क मुहब्बत प्यार फसाना हो जायेगा

Wednesday, 18 January 2023

ऐसा भी क्या

तुमने जाने उसमे देखा ऐसा भी क्या
खुद भी उलझे दिल भी उलझा ऐसा भी क्या

रोते रोते हँस देते हो पागल लड़के
खोजा तुमने खूब तरीका ऐसा भी क्या

कांटों की हसरत है खुशबू से भर जाएं
फूलों की फितरत है धोखा ऐसा भी क्या

पानी के अंदर ही डूबा आज समंदर
बारिश की बूंदों में भीगा ऐसा भी क्या

लाख वफा की कसमें तुमने खुद तोड़ी हैं
फिर भी हमसे इतना शिकवा ऐसा भी क्या

Monday, 16 January 2023

शायरी

धीरे धीरे सबकुछ सहना सीख गया हूं
तन्हा तन्हा घर पे रहना सीख गया हूं
तुमने तो कुछ कहने लायक कब छोड़ा था
अपना गम मै खुद से कहना सीख गया हूं

सही नही है मगर गलत भी लगा नही वो
कहीं नही है मगर अभी तक जुदा नही वो
अभी तो खुशबू भरी हुई है बदन मे मेरे
गया है लेकिन लगे यही के गया नही वो

इन रस्तों को मंजिल कहके कितने दिन इतराओगे
मै अपने रस्ते जाऊंगा तुम अपने रस्ते जाओगे
आते जाते मिलना तो फिर नज़रे तिरछी कर लेना
उलझे अबकी नजरो मे तो फिर वापस ना आओगे

Saturday, 14 January 2023

बन संवर के आए हैं

उसके शहर में कुछ दिन ठहर के आए हैं
गौर से देखो हम बन- संवर के आए हैं

अब तो दरिया से ये प्यास बुझेगी नही
हम समंदर के अंदर उतर के आए हैं

उन लोगों से पूछो उसे पाने का मतलब
जो बस उसके लिए आह भर के आए हैं

जिंदगी एक गश्त है और हम हैं मुसाफिर
बस यही सोचकर हम गश्त कर के आए हैं

इतना आसान नही है इश्क का ये सफर
हम आग के दरिया से गुजर के आए हैं

Wednesday, 11 January 2023

क्या क्या बताया जाए

क्या क्या बताया जाए क्या क्या छुपाया जाए
राज़ इतने हैं किस किस को दबाया जाए

मेरे चाहने वाले मुझको हिदायत यही देते हैं
तू गुजरे जिधर से उधर से न जाया जाए

मुकम्मल हो जायेगी यूंही तेरे प्यार की कहानी
क्यों टाइटैनिक की तरहा तुझको  डुबाया जाए

दोस्ती करने का तरीका तो बेहद आसान है
नज़रे मिल जाएं तो हाथों को मिलाया जाए

महफिल में भले रौशन हों चांद तारे और जुगनू
रौशनी तो तब है जब तुझको बुलाया जाए

Monday, 9 January 2023

गजल क्या क्या हुआ है

मत पूछो मेरे साथ क्या क्या हुआ है
दिल किसी बात से बहला हुआ है

चांद की आंखों में उदासी किसलिए
फिर किसी के प्यार का सौदा हुआ है

जिंदगी एक किताब है मालूम है हमें
क्या हुआ जो हर पन्ना बिखरा हुआ है

लिख देंगे तुम्हे हम शायरी में कभी
अभी दिल कहीं पे उलझा हुआ है

ये प्यार इश्क उल्फत मोहब्बत
यही बोलकर तो हमला हुआ है

Sunday, 8 January 2023

गजल - न थे न होंगे

वो हम पे महरबान न थे न होंगे
पर हम भी बेजुबान न थे न होंगे

उनसे रहम की गुजारिश भी क्या
जो बेहतर इंसान न थे न होंगे

बिन बुलाए आयेंगे हमारे करीब
वो घर के महमान न थे न होंगे

आसमां को जमीं पर खींच लायेंगे
ऐसे तो अरमान न थे न होंगे

क्या दिल में है क्या जुबान पर
हम इतने अनजान न थे न होंगे

Wednesday, 4 January 2023

गजल - जाने दो

वो जा रहा है तो उसे इस बार जाने दो
अब है किसी वो दूसरे का प्यार जाने दो

है फायदा कुछ भी नही क्यों गमजदा हो तुम
इन आंसुओं को यूं नही बेकार जाने दो

अब जो लिखा है किस्मतों में मान लो उसको
फिर क्या हुआ वो कर रहा इनकार जाने दो

रिश्ते बचाकर कुछ न होगा ये समझ लो तुम
जब दो दिलों में खिंच गई दीवार जाने दो

मै ही नही तुम ही नही सब है उसी रब का
फिर सोचना क्या जा रहा जो यार जाने दो

Sunday, 1 January 2023

मन की बात

अपने मन की बात बताकर जोड़ा हमसे नाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

राष्ट्र कहां तक पहुंचा है हमलोग कहां तक जायेंगे
किन बातों के द्वारा हम सब देश का मान बढ़ाएंगे
सोच हमें क्या रखनी होगी कर्तव्य हमारे क्या क्या हैं
काम कौन से ऐसे हैं जिससे देश को फायदा है

इन बातों का ताना बाना कोई नही बतलाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

वो क्षेत्र कौनसे ऐसे हैं जिनमें ज्यादा अवसर हैं
आवास योजना के अंतर्गत बने अभी कितने घर हैं
स्वच्छ देश का सपना अबतक पहुँचा है किस पटरी पर
विज्ञान के द्वारा सपनों की बुनी गई कितनी चादर

ढेरों ऐसी बातों से ये मन ज्ञानी हो जाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

आगे क्या क्या संकट हैं किन लोगों से लड़ना होगा
क्या क्या हमने नही किया क्या क्या हमको करना होगा
किन बातों को ध्यान में रखना हमको अभी जरूरी है
विश्वगुरु की राह में हमको चलनी कितनी दूरी है

आप के द्वारा ही हमको संकल्प पता चल पाता है
जैसे आप समझाते हो कोई नही समझाता है

और यार क्या

चल रहे तो है ये सफर , और यार क्या
पांव से तू नाप डगर , और यार क्या

जिंदगी क्या चाहती है और क्या नही
किसको पता किसको खबर , और यार क्या

दिल के तार जोड़कर दूर तक चलो
रह न जाए कोई कसर , और यार क्या

शाम को तू बैठ कभी इतमिनान से
ढल रही है तेरी उमर , और यार क्या

वक्त और साल तो ये बीत जायेगा
छोड़ देगा अपना असर , और यार क्या

जिंदगी की जंग सदा जीत लेंगे हम
है दोस्तों का साथ अगर , और यार क्या