Friday 4 January 2013

मंहगाई: एक व्यंग (Inflation)




मंहगाई

मंहगाई पर लगाम अभी विचाराधीन है ...
 क्या कहें ये सरकार बड़ी उदासीन है ...

 कंकरिया मार रही बाबुल की कोठी 
 खुद ही तुम बचा लो अपनी लंगोटी 
 सब्जी महंगी मसाला मंहगा महंगी है रोटी 
 बरात हुई घटकर आज मुट्ठी से छोटी 
 तेल है महंगा आज सस्ती मशीन है ...
 मंहगाई पर लगाम अभी विचाराधीन है ...

 गैस का सिलेंडर अभी और होगा मंहगा 
 कमर कस लो अपनी अभी बहुत कुछ है सहना 
 समौसे में आलू कम सब्जी में पनीर 
 अब तो बेशकीमती हुआ पीने का नीर 
 घर भी है मंहगा और मंहगी जमीन है ...
 मंहगाई पर लगाम अभी विचाराधीन है ...

 ऊपर से घोटालो का रोज है खुलासा 
 फिर हम खुशहाली की कैसे करे आशा 
 नेता सारे व्यस्त हैं नोट छपवाने में 
 चप्पल घिसते जा रहे हैं नौकरियां पाने में 
 अर्थव्यव्स्थ्ता पर चंद लोग एक अरसे से आसीन है ...
 मंहगाई पर लगाम अभी विचाराधीन है ...
 क्या कहें ये सरकार बड़ी उदासीन है ...

   ---- कविराज तरुण 





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