Thursday 14 February 2013

चाल चालीसा - पार्ट 4 ( मैरिड फेज)


दोस्तों ! बी-टेक के दौरान लिखी हास्य - व्यंग रचना प्रस्तुत है जिसका उद्येश किसी व्यक्ति विशेष को कष्ट पहुचना कदापि नहीं है | बी - टेक के चार सालों में लड़कियों के व्यवहार में परिवर्तन को दर्शाने के लिए कुल ४ कवितायें मैंने लिखी हैं जिन्हें बारी बारी से ४ बार में पोस्ट करूँगा |

तो प्रस्तुत है शादी के उपरांत परिस्थिति को दर्शाती रचना : चाल चालीसा - पार्ट 4 ( मैरिड फेज) 




" सच कहता हूँ प्राणप्रिये ! मै तुझसे जीत न पाऊंगा |
तू अपवाद है मै विवाद हूँ , किस विधि बात बताऊंगा ||

जो जो तूने बोला है , वो बिना शर्त स्वीकार मुझे |
मेरी दुविधा की हर विधा पे, तेरा ही अधिकार प्रिये ||

सावन की बेला तेरी है , बारिश की बूंदे तेरी हैं |
ये अम्बर भी तेरा है , ये धरती भी तेरी है ||

मै प्रबल संकोच विचारक हूँ , तेरे निर्देशों का मै पालक हूँ |
तू परम बुद्धि त्रिलोचन धारी है , क्यूंकि तू एक नारी है ||

मै मूक रहूँगा कुछ न कहूँगा , समर्पित हैं सारे हथियार प्रिये |
जीवन के हर एक पन्ने पर , स्वीकृत है अपनी हार प्रिये || "



--- कविराज तरुण 

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