Wednesday 24 July 2013

ग़ज़ल : ना दिल चाहिए ना दुआ चाहिए

ग़ज़ल : ना दिल चाहिए ना दुआ चाहिए

ना दिल चाहिए ना दुआ चाहिए |
मुझ...को तो एहदे वफ़ा चाहिए ||
लोग कमज़र्फ हैं और फरेबी भी हैं |
मुझको मालिक तेरी आबिदा चाहिए ||
आईना पाक है , सिर्फ नीयत बुरी |
उनकी सूरत में सीरत फिजा चाहिए ||
अप्सरा नूर की कब थी ख्वाहिश हमें |
मुझको रहमत तेरी साहिबा चाहिए ||
सामने आ गए रूह के सिलसिले |
प्यार की रहगुजर में एक रज़ा चाहिए ||
ना गिला चाहिए ना सिला चाहिए |
आफरीन तेरे चेहरे पे शोखी अदा चाहिए ||
एक नज़र देख लो और असर देख लो |
मुझको नजरो नज़र में खुदा चाहिए ||
ना दिल चाहिए ना दुआ चाहिए |
मुझ...को तो एहदे वफ़ा चाहिए ||

--- कविराज तरुण


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