Wednesday 24 September 2014

नही आता

हसरतो पर लगाम लगाना नही आता ।
मै खुश हूँ मगर मुस्कुराना नही आता ।।
जो मिला जब मिला और जैसे मिला ...
ना किसी से शिकवा ना कोई गिला ...
अश्क आये तो उन्हें पलको में छिपाना नही आता ।
झूठे सपने इन आँखों मे सजाना नही आता ।
हसरतो पर लगाम लगाना नही आता ।
मै खुश हूँ मगर मुस्कुराना नही आता ।।
लोग कहते हैं इश्क छिपाए नही छिपता ...
सावन के अंधे को कुछ और नही दिखता ...
उतर जाती है हिना भी हथेली पर चढ़कर ...
रंग मोहब्बत का दिल से यार नही रिसता ...
बिक जाते हैं शहंशाह भी मुफलिसी में अक्सर ...
किसी कीमत मे मगर ये प्यार नही बिकता ...
पर फिरभी इस प्यार को आजमाना नही आता ।
जो है वो दिल मे है यूँ सरेआम दिखाना नही आता ।
सच है हमे रूठों को मनाना नही आता ।
ये भी सच है किसी को रुलाना नही आता ।
हो जाए गलती तो बस सुधार लेते हैं ।
बेवजह किसी को समझाना नही आता ।
हसरतो पर लगाम लगाना नही आता ।
मै खुश हूँ मगर मुस्कुराना नही आता ।।
--- कविराज तरुण

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