Monday 12 January 2015

मिलन का अवसर कैसे होगा

मै पतझड़ का सूखा पत्ता
सावन की तुम पुष्प गुलाबी ।
मै सिगरेट की धुंध कालिमा
आँखों का मायाजाल शराबी ।
तुम स्वच्छ सुन्दरी काया हो
तुझमे तनिक भी नही खराबी ।
मै किस्मत का मारा यौवन
तुम खुल जा सिमसिम वाली चाबी ।
फिर मिलन का अवसर कैसे होगा
नही बनेंगे अब ठाट नवाबी ।।

तुम विटामिन बी की गोली
मै बीज करेले वाला हूँ ।
तुम सहारा गंज का शोरूम
मै अमीनाबाद का गड़बड़झाला हूँ ।
मै कुरूप घनघोर धूप
काजल से भी गहरा काला हूँ ।
तुम साँझ सुहानी छाया हो
मै मकड़ी का बस जाला हूँ ।
फिर मिलन का अवसर कैसे होगा
मै बस काटों की वरमाला हूँ ।।

मै लंगड़ा बूढ़ा सांड सरफिरा
हिरनी सी तेरी चाल अनोखी ।
मै देशी ठर्रा पन्नी वाला
तू काजू वाला माल अनोखी।
मै ट्रेन की सीटी जैसा कर्कश
तुम जाकिर हुसैन की ताल अनोखी ।
मै आम की गुठली सा कठोर
तेरे मक्खन से कोमल गाल अनोखी ।
फिर मिलन का अवसर कैसे होगा
यूँही बुरे रहेंगे हाल अनोखी ।

कविराज तरुण

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