दिल बड़ा बेताब सा है ये सच है या एक ख्वाब सा है तुम बन गए हो मीत मेरे कुछ कुछ ये नशा शराब सा है मै अंजुमन मे खो गया हूँ शायद तेरा असर महकते किसी गुलाब सा है प्यार की बारिश मे भीग के ये जाना मज़ा ज़िन्दगी का मेहताब सा है कविराज तरुण
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