Sunday 25 October 2015

थोड़ा दर्द तो चलता है

थोड़ा दर्द तो चलता है ...
खुशियों के दामन भीगे भीगे से हैं
हम खुश हैं पर संजीदे से हैं
चेहरे पर हँसी गई नही पर
आँखों से अश्क़ टपकता है ...
थोड़ा दर्द तो चलता है ...

वो बोले शाम चुरा कर ला
हाथों पर नूर उठा कर ला
तू ला दे चाँद सितारे ये
सावन में घुले नज़ारे ये
जिनपर मन रोज बहकता है ...
थोड़ा दर्द तो चलता है ...

तुमसे पहले मै गुम था
अब हम हैं तब तुम था
पर चले गए उसे छोड़ के तन्हा
जो तेरे लिए मासुम था
ये दिल को नही जँचता है ...
थोड़ा दर्द तो चलता है ...

बहके दिन थे बहकी रात कई
ज़िंदा है इस दिल में बात कई
तू भूल गया तेरी फिदरत
मेरी यादों मे है तेरा साथ कई
जब यादों का फूल महकता है ...
थोड़ा दर्द तो चलता है ...

कविराज तरुण

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