Monday, 30 June 2025

बदलते हैं

मुश्किलों में हम सफर थोड़ी बदलते हैं 
राह जैसी हो डगर थोड़ी बदलते हैँ

जिनको अपने लोग की परवाह रहती है 
वो परिंदे अपना घर थोड़ी बदलते हैँ

धूप में भी पालते परिवार वो अपना 
देखकर मौसम शहर थोड़ी बदलते हैँ 

जिसकी जो आदत रही वो हो गया वैसा 
सांप कुछ भी हो जहर थोड़ी बदलते हैं

डाल अपनी टहनियों पर फूल आने से
झूम लेते हैं शज़र थोड़ी बदलते हैं

इस बदलते वक़्त में जो लोग जिंदा हैँ 
वो ज़रा सी बात पर थोड़ी बदलते हैँ 

जिसके सर पर हाथ हो बूढ़े बुजुर्गो का
वो कभी अपना हुनर थोड़ी बदलते हैँ 

वो बड़ा मशहूर था जिसने कहा था  ये 
जो खबर खुद हों खबर थोड़ी बदलते हैँ

जब बुलंदी पर किसी के पैर काबिज हों 
तब वहां जाकर नजर थोड़ी बदलते हैँ

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