Sunday 1 September 2013

वोट बैंक

जब जब चौराहे पर मेरी लाज उतारी जाती है |
संसद में बैठे सफेदपोश को तनिक लाज न आती है ||
कभी निर्भया कहकर मुझको झूठी आस दिखाते हैं |
ये चरित्रहीन और मर्म विहीन " बेटी की इज्ज़त " पे दांव लगाते हैं ||
मेरी अस्मत भी वोट बैंक ...
हर जुर्म की हरकत वोट बैंक ...
काबा और कुर्बत वोट बैंक ...
जाति और मजहब वोट बैंक ...
इसी निति के राज में सारी , राजनीति खेली जाती है |
संसद में बैठे सफेदपोश को तनिक लाज न आती है ||

--- कविराज तरुण

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