Saturday 12 April 2014

भारत निर्माण पर विचार

"दिशाविहीन पथभ्रमित व्याकुलित ... अचरज भरी निगाहों से ।
किस रस्ते जाऊं कुछ खबर नही ... क्या हाल हुए हैं युवाओं के । "
मै कविराज तरुण - वाकई में एक आम आदमी , कांग्रेस के 10 साल के कुशासन से तंग ... आज नए भारत के निर्माण के सपने देख रहा हूँ । ज़ाहिर है कि कांग्रेस को हटाना तो हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है । पर प्रश्न ये आता है कि कैसे ? सपा बसपा या अन्य क्षेत्रीय दलों को वोट करके मै कांग्रेस को एक और मौका देने के पक्ष में नही हूँ । अब हमारे पास बचे दो विकल्प - भाजपा और आप ।
जहाँ एक ओर मोदी दस साल के कामो को अपना आधार बनाकर विकास के मुद्दे पर हमसे साथ देने की अपील कर रहे हैं । अपने अनुभव और कार्य को आगे रख रहे हैं वही दूसरी ओर केजरीवाल अपनी दिल्ली की ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए इस महासमर में त्रिशंकु की स्थिति बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को होगा । बड़ा दुःख होता है ये सुनकर कि जो व्यक्ति विकास को तरजीह देकर चुनाव लड़ रहा है उसे धर्म के नाम पर या फिर वैवाहिक स्थिति के नाम पर घेर जा रहा है । इस मामले में केजरी जी को भी कोई परहेज नहीं चाहे फिर अंसारी का ही समर्थन क्यों न मिले । चार साल के बच्चे को दसवी की परीक्षा में बैठाकर नक़ल या अन्य सहयोग से हम पास करा भी दें तो क्या वो अपना या दूसरों का भविष्य बना पायेगा । यहाँ पर तो इस बालक ने प्रथम कक्षा भी पूरी नहीं की । कांग्रेस को धूल चटाना है तो सिर्फ मोदी का कमल खिलाना है । केजरीवाल को एक सन्देश -अभी आप अधूरे काम को पूरा करने की सोचो । पांच साल बाद फिर अपने काम को लेकर वोट मांगने आना । सही रहा तो बिना मांगे ही मिल जायेगा । जय भारत ।
--- कविराज तरुण

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