Monday 19 May 2014

कैसे तुम अपना मुँह छिपाओगे

न दिल मिला न दिल्ली
'आप' की उड़ गई खिल्ली
अब भाग के कहाँ जाओगे
कैसे तुम अपना मुँह छिपाओगे ।
गंगा में लुटिया डूबी
गायब दिल्ली और यू पी
जमानत अब कैसे दिलवाओगे
कैसे तुम अपना मुँह छिपाओगे ।
पंजाब में खुल गया खाता
बाकी जगहों पर चाटा
मीडिया को क्या बतलाओगे
कैसे तुम अपना मुँह छिपाओगे ।
विश्वास का ड्रामा फ़िल्मी
सांप्रदायिक शाजिया इल्मी
गुल पनाग को फिर लड़वाओगे
कैसे तुम अपना मुँह छिपाओगे ।
पाने दिल्ली का शासन
थामके कांग्रेस का दामन
एकबार फिर तुम पछताओगे
कैसे तुम अपना मुँह छिपाओगे ।
--- कविराज तरुण

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