मै उसे देखकर देखता रह गया
बाण नैनों का फिर फेंकता रह गया
वो भी नजरें झुका मुस्कुराने लगी
और मै ये हँसी सोखता रह गया
पास आकर कहा उसने कुछ कान में
साँस की आँच मै सेंकता रह गया
कुछ जवाबी बनूँ तो कहूँ मै भी कुछ
लफ्ज़ की मापनी तोलता रह गया
वो गई सामने रोकना था 'तरुण'
दिल ही दिल में उसे रोकता रह गया
कविराज तरुण
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