Monday, 10 September 2018

कुंडलियां - माखन


कुंडलियां

माखन देखो खा रहे , मेरे नंदकिशोर ।
फूटी है सब गागरी , बैठे माखनचोर ।।
बैठे माखनचोर, मनोहर मुख लिपटाया।
सुंदर शोभित श्याम, सलोनी सुंदर काया ।।
कहे तरुण कविराज,किसी को मत दो चाखन ।
खाओ मन भर आज , श्याम मटकी का माखन ।।

कविराज तरुण

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