लगी जो चोट दिल पर तो बड़े घायल हुये शायर खुशी खुद कर गये कितने दुखी पागल हुये शायर नही इसपार कश्ती है नही उसपार माँझी है हुई बारिश शुरू फिरसे सभी बादल हुये शायर
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