मुझे ये इश्क़ था शायद बहुत पहले बहुत पहले मेरे दिल की नही थी हद बहुत पहले बहुत पहले मगर अब हाल ये अपना पता खुद का नही मिलता हुई ओझल मेरी सरहद बहुत पहले बहुत पहले
कविराज तरुण
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