Monday, 16 December 2019

बाकी है

मेरे ख़्वाहिशों का अभी मंजर बाकी है
प्यास ज़ोरों की है और समंदर बाकी है
अभी सबकुछ बाहर नही आया है दोस्त
बहुत कुछ ऐसा भी है जो मेरे अंदर बाकी है

कविराज तरुण

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