Sunday 8 January 2023

गजल - न थे न होंगे

वो हम पे महरबान न थे न होंगे
पर हम भी बेजुबान न थे न होंगे

उनसे रहम की गुजारिश भी क्या
जो बेहतर इंसान न थे न होंगे

बिन बुलाए आयेंगे हमारे करीब
वो घर के महमान न थे न होंगे

आसमां को जमीं पर खींच लायेंगे
ऐसे तो अरमान न थे न होंगे

क्या दिल में है क्या जुबान पर
हम इतने अनजान न थे न होंगे

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