Saturday, 2 August 2025

शिव गीत

हर हर महादेव… ओम नमः शिवाय… ओम नमः शिवाय…"

सावन की बूंदें जब बरसें गगन से,
जैसे हर हर गंगे की गूँज धरा पे।
काँवड़ियों का सैलाब राहों पे घूमे ,
शिवालयों में अतिमधुर भजन गूंजे 

बेलपत्र चढ़े शिवलिंग पर, नंदी की घंटियां बजती हैं।
सावन में मेरे भोलेनाथ की सवारी सजती है 

कैलाश की चोटी पे बर्फ सफेद,
जहाँ ध्यान में लीन महादेव।
गंगाधर, नटराज, औघड़ दानी,
आदियोगी है देवों के देव।

तीसरी आंख में जो अग्नि छुपाए,
सृष्टि का हर रहस्य बताए।
वो नीलकंठ विषपान कर के भी,
सबको जीवन का अमृत पिलाए।

महाशिवरात्रि की रात सजती है,
दीप जलते हैं, शंख बजते हैं।
त्रिपुंड माथे पे भस्म रमाए,
कण-कण में शिव के स्वर गूंजते हैं ।

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