Saturday, 2 August 2025

ग़ज़ल किसी का दिल जो टूटेगा

किसी का दिल जो टूटेगा किसी के काम आयेगा 
कहीं बेचैन रातें और कहीं आराम आयेगा

मुहब्बत के सफर में राह मंजिल दूंढ़ लेती है 
किसी दिन आपके भी नाम से पैगाम आयेगा

हिमाकत कर रहा है दिल तुम्हारे दिल की शोहबत में 
मगर फिर भी निगाहों पर तेरे इल्जाम आयेगा

थकन उसकी मिटाने के लिए कुछ फूल रख लेना 
वो निकला है सुबह लड़ के मगर वो शाम आयेगा

चरागों में मशालों में सितारों में कहीं पर तो
'तरुण' यूँही रही कोशिश तुम्हारा नाम आयेगा

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