कहीं बेचैन रातें और कहीं आराम आयेगा
मुहब्बत के सफर में राह मंजिल दूंढ़ लेती है
किसी दिन आपके भी नाम से पैगाम आयेगा
हिमाकत कर रहा है दिल तुम्हारे दिल की शोहबत में
मगर फिर भी निगाहों पर तेरे इल्जाम आयेगा
थकन उसकी मिटाने के लिए कुछ फूल रख लेना
वो निकला है सुबह लड़ के मगर वो शाम आयेगा
चरागों में मशालों में सितारों में कहीं पर तो
'तरुण' यूँही रही कोशिश तुम्हारा नाम आयेगा
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