रंग तिरंगे का एक दिन पूछेगा हमसे...
खुद को किस रंग में हमने रंग लिया है
सफेदपोशो ने देखो सफेदी को इसके
नित किस तरीके से मैला किया है
खून खराबे ने केसरिया पट्टी को इसके
आज बदलकर रक्तरंजित किया है
रंग हरा है इसमें पर हरियाली कहाँ है
चक्र खामोश है खुशहाली कहाँ है
ये तो लहराता है पर न कह पाता है
राष्ट्र-सम्मान का ये क्या सिलसिला है
रंग तिरंगे का एक दिन पूछेगा हमसे...
खुद को किस रंग में हमने रंग लिया है
--- कविराज तरुण
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